उपन्यास ‘देवस्वामिन’ व कविता संग्रह ‘आखिर कब तक’ विमोचित 

झांसी । भारतीय ज्ञान परंपरा में आयुष, योग और साहित्य के नए आयाम – डॉ० रामशंकर भारती विरचित उपन्यास ‘देवस्वामिन’ और कविता संग्रह ‘आखिर कब तक’ के विशेष संदर्भ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक एकेडेमी झांसी एवं सत्य सनातन संस्कृति मंच भारत के संयुक्त तत्वावधान में बुन्देलखण्ड राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय झांसी के आचार्य पंडित रघुनाथ विनायक धुलेकर सभागार में आयोजित की गई।

प्रथम सत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री, हिन्दी साहित्य भारती के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० रवींद्र शुक्ल की अध्यक्षता और सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की हिन्दी विभाग के प्रोफेसर रचना बिमल, बुन्देलखण्ड राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय झांसी के प्राचार्य डॉ० रामकृष्ण राठौर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मण्डलीय प्रबधंक झांसी आनंद चौबे, प्रतिष्ठित कथाकार, समीक्षक डॉ० लखनलाल पाल के मुख्य आतिथ्य एवं संस्कृत शोध पीठ बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के निदेशक डॉ० बी०बी० त्रिपाठी, वरिष्ठ साहित्यकार, चिकित्सक डॉ० के० के० साहू ‘निर्लिप्त’ के विशिष्ट आतिथ्य में डॉ० रामशंकर भारती विरचित उपन्यास ‘देवस्वामिन’ और कविता संग्रह ‘आखिर कब तक’ का विमोचन किया गया।

‘आखिर कब तक’ की कविताओं का चयन एवं सम्पादन किसान गिरजा शंकर कुशवाहा ‘कुशराज’ ने किया है। डॉ० रामशंकर भारती ने प्रस्ताविकी रखते हुए कहा कि ‘देवस्वामिन’ मेरे भाव जगत की प्रणय गाथा है। इसे संस्मरणात्मक कथा कहूँ या प्रेमाख्यान। जो भी है, है कुछ जरूर। ‘आखिर कब तक’ की कविताएँ समकालीनता की उपर्युक्त भावभूमि अवष्ठित हैं। जिसे मैं विगत साथ वर्षों से भोगता आ रहा हूँ।

डॉ० रवींद्र शुक्ल ने कहा कि डॉ० भारती सनातनी भारतीय संस्कृति के सच्चे साधक और भारतीय ज्ञान परंपरा के संवाहक हैं। इनके साहित्य में सनातनी संस्कृति व समकालीन समाज का जीवंत चित्रण मिलता है।

प्रो रचना बिमल ने कहा कि डॉ० रामशंकर भारती भारतीय ज्ञान परंपरा के सशक्त व्याख्याता हैं। डॉ० भारती की औपन्यासिक कृति देवस्वामिन का ईश-साधना पर आधारित कथानक है। इसमें देवस्थानों, मंदिरों, तीर्थों और उनके साधकों की स्थिति का अद्वितीय आख्यान प्रस्तुत किया गया है।

डॉ० रामकृष्ण राठौर ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में आयुर्वेद और योग के साथ ही साहित्य समृद्ध परंपरा रही है। डॉ० भारती इस परंपरा के पोषक हैं। डॉ० लखनलाल पाल ने कहा कि जीवन के उद्देश्य को सार्थक करती देवास्वामिन कहानी मानवीय मूल्यों को बचा ले जाती है।

द्वितीय सत्र में पूर्व मुख्य सचिव पश्चिम बंगाल एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० प्रमोद कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता, प्रख्यात लेखिका डॉ० कुंती हरीराम वर्मा के मुख्य आतिथ्य, सुप्रसिद्ध हाइकुकार डॉ० निहालचंद्र शिवहरे, सुप्रसिद्ध कवि डॉ० विजयप्रकाश सैनी, इंजीनियर शिवतनय श्रीवास्तव, शिक्षाविद महेन्द्र सिंह वर्मा, हिन्दी विभाग बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की आचार्या डॉ० सुनीता वर्मा एवं आकाशवाणी उद्घोषिका शिवानी वर्मा के विशिष्ट आतिथ्य में विभूति अलंकरण समारोह संपन्न हुआ। जिसकी प्रस्ताविकी सत्य सनातन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामशरण नायक ‘सत्य’ ने रखी।

बुन्देलखण्ड की विविध विभूतियां सम्मानित 

अखण्ड बुन्देलखण्ड की विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक एकेडेमी द्वारा अलंकृत किया गया। देवेन्द्र कुमार सिंह को डॉ० गोरेलाल तिवारी इतिहासकार सम्मान, डॉ० लखनलाल पाल को फणीश्वरनाथ रेणु कथा सम्मान, डॉ० विजय प्रकाश सैनी को नागार्जुन नई कविता सम्मान, अंजली शर्मा को माँ सीता संस्कृति सम्मान, गजेन्द्र सिंह को राजा रवि वर्मा कला भूषण सम्मान, डॉ० पवन कुमार गुप्ता ‘तूफान’ को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सांस्कृतिक कविता सम्मान, किसान गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’ को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी संपादक सम्मान, डॉ० देव नायक को डॉ० हेडगेवार समाजसेवा सम्मान, शिवानी वर्मा को सावित्रीबाई फुले नारी सशक्तिकरण सम्मान, महेन्द्र सिंह यादव को डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा भूषण सम्मान, ब्रजलता मिश्रा को महाकवि अवधेश बुन्देली कविता सम्मान, दीपेश मिश्रा को सुंदरलाल बहुगुणा पर्यावरण सम्मान, आशाराम वर्मा ‘नादान’ को ईसुरी लोक कविता सम्मान, आरिफ शहडोली को बुन्देलखण्ड श्रेष्ठ फिल्म अभिनेता सम्मान, डॉ० निहालचंद्र शिवहरे को मात्सुओ बाशो हाइकु सम्मान, रिपुसूदन नामदेव को केपी सक्सेना व्यंग्य सम्मान, प्रदीप कुमार पाण्डेय को लोकनायक सेवा सम्मान, सुरेन्द्र कुमार विश्वकर्मा को राष्ट्रीय जागरण सेवा सम्मान, संजय तिवारी ‘राष्ट्रवादी’ को राष्ट्रीय संस्कृति सेवा सम्मान, डॉ० रमा आर्य को माँ पीताम्बरा वेद विद्या सम्मान, डॉ० सुमन मिश्रा को महादेवी वर्मा काव्य सम्मान, राहुल मिश्रा को दुष्यंत कुमार गजल सम्मान, आजाद सिंह वर्मा को डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा भूषण सम्मान, अरुण नागर को हरिशंकर परसाई व्यंग्य सम्मान, संजीव कुमार त्रिपाठी को मेजर ध्यानचंद क्रीड़ा सम्मान, आरोही दुबे को वाग्देवी संगीत साधिका सम्मान से अलंकृत किया गया।

इस अवसर पर साकेत सुमन चतुवेर्दी, डॉ० तनुजा कुशवाहा, शिवम हरी उपस्थित रहे। पत्रकार डॉ० पवन कुमार गुप्ता ‘तूफान’ ने संचालन किया और बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक एकेडेमी के सचिव किसान गिरजा शंकर कुशवाहा ‘कुशराज’ ने आभार व्यक्त किया।