रेलवे महिला कर्मचारियों एवं डॉक्टरों की तत्परता से हुई सुरक्षित डिलीवरी

झांसी। रेलवे की सजगता, मानवता और सेवा भाव का एक अत्यंत सराहनीय उदाहरण आज झांसी रेलवे स्टेशन पर सामने आया। गाड़ी संख्या 15066 पनवेल-गोरखपुर एक्सप्रेस से यात्रा कर रही एक गर्भवती महिला यात्री को प्रसव पीड़ा हुई। उक्त महिला पनवेल से बाराबंकी जा रही थीं। गर्भवती झांसी स्टेशन पर उतर कर प्लेटफार्म नंबर दो की लिफ्ट के पास अपने पति के साथ पहुंच कर तड़पने लगी।

इसकी जानकारी दूसरे यात्री ने रेल मशीनरी को दी। इस पर चिकित्सकीय सहायता हेतु टीम त्वरित रूप से तैयार की गई और सेना के डाक्टर से मदद मांगी गई। महिला यात्री को रेलवे मेडिकल टीम, रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ पाली प्रभारी पी एन सोनी एवं महिला चैकिंग कर्मचारियों, उप स्टेशन अधीक्षक वाणिज्य मणि राय तथा स्टेशन पर उपस्थित आर्मी डॉक्टर की सहायता द्वारा तत्परता से अटेंड किया गया।

दरअसल, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के आसपुर गांव निवासी अखिलेश कुमार और उसकी पत्नी राजकुमारी कानपुर में रहकर रेलवे के ठेकेदार के पास काम करते हैं। बीते दो महीने से दोनों ठेकेदार के पास काम करते रहे। यहां गर्भवती राजकुमारी को कानपुर में डॉक्टर ने डिलीवरी की डेट दी थी। अखिलेश ने बताया कि वह इस बात को लेकर निश्चिंत था कि उन दोनों के काम के एक महीने के 30 हजार रुपए ठेकेदार पास बकाया हैं। जब पत्नी की डिलीवरी के समय जरूरत पड़ेगी तो पैसे ले लेगा। लेकिन ऐन मौके पर ठेकेदार ने पैसे देने से इंकार कर दिया। इसके बाद उसने मौसी से रुपए उधार लिए और गर्भवती पत्नी के साथ झांसी आने के लिए गोरखपुर-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस में सवार हो गया। ट्रेन जब यहां ट्रेन जैसे ही झांसी पहुंची तो राजकुमारी को प्रसव पीड़ा होने लगी। इस पर रेलवे से दूसरे यात्री ने दर्द से तड़प रही राजकुमारी के लिए मदद मांगी। यहां जैसे ही रेलवे के अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने स्टेशन पर मौजूद सेना के डॉक्टर से सहायता मांगी। साथ ही यहां से अपना मेडिकल स्टाफ, महिला टिकट चेकिंग स्टाफ लिली कुशवाहा, राखी कुशवाहा, ज्योतिका साहू एवं कविता अग्रवाल ने अद्भुत समन्वय एवं सेवा भाव दिखाते हुए झांसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर ही महिला की सुरक्षित डिलीवरी करवाई। महिला ने एक स्वस्थ कन्या शिशु को जन्म दिया। इस दौरान लिली कुशवाहा ने बिना किसी हिचक के अपने वस्त्रों की परवाह किए बिना नवजात कन्या को सुरक्षित संभाला और माँ को सौंपा। इस कार्य में ऑन ड्यूटी कुली ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डिलीवरी उपरांत महिला को प्राथमिक उपचार के बाद एंबुलेंस के माध्यम से मेडिकल कॉलेज भेजा गया। महिला के पति ने रेलवे की तत्परता, मानवीयता और सहयोग हेतु समस्त स्टाफ को हृदय से धन्यवाद प्रेषित किया। एम्बुलेंस तो उसे मेडिकल कॉलेज छोड़ आई, किंतु वहां उसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।

मेडिकल कॉलेज की नर्स ने किया पेशे को शर्मशार

स्टेशन पर मौजूद आर्मी डॉक्टर, रेलवे चिकित्सा स्टाफ और टिकट चेकिंग स्टाफ ने जिस प्रकार महिला को अपने परिवार की तरह सहारा दिया, वह मानवता की मिसाल बन गया। लेकिन दूसरी तरफ झांसी मेडिकल कॉलेज की एक नर्स ने अस्पताल की साख पर धब्बा लगा दिया। मेडिकल कॉलेज में एक नर्स ने राजकुमारी को देखने से भी इंकार कर दिया। नर्स का कहना था कि प्रसूता के कपड़ों से बदबू आ रही है, इसलिए वह उसके पास भी नहीं जाएगी और न ही उसकी देखभाल करेगी।

पत्नी को मेडिकल से महिला अस्पताल लाकर किया भर्ती

प्रसूता राजकुमारी के पति अखिलेश ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में नर्स ने बुरी तरह से फटकार कर ये कहते हुए भगा दिया कि पत्नी के पास बदबू आ रही है। इसके बाद वह उसे ऑटो से जिला महिला अस्पताल लाया। अखिलेश ने बताया कि जिला महिला अस्पताल में सभी व्यवस्था अच्छी हैं। साथ ही यहां नर्स भी बार-बार आकर देखभाल कर रही हैं। कहा कि यहां किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है।

इस घटना ने भारतीय रेलवे के “सेवा ही संकल्प” के भाव को एक बार फिर साकार किया है। रेलवे कर्मचारियों द्वारा दिखाया गया यह सेवा भाव और मानवीय संवेदना निश्चय ही प्रेरणादायक है।