अधीक्षण अभियंता ग्रामीण के तानाशाही फर्जी आदेश को निरस्त कराने एकजुट हुए अवर/प्रोन्नत अभियंता

झांसी। अधीक्षण अभियंता ग्रामीण झांसी द्वारा अवर अभियंता विद्युत उपकेंद्र पर बकाए पर नया विद्युत संयोजन देने पर जारी गलत एवं तानाशाही निलंबन आदेश को लेकर संगठन ने पूर्व में 3 दिन का नोटिस दिया था। किंतु समय बीत जाने के बावजूद भी प्रबंधन द्वारा आदेश निरस्त नहीं किया गया, जो मंडलीय प्रबंधन की तानाशाही एवं मनमानी को दर्शाता है।

आज संगठन के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य अधीक्षण अभियंता ग्रामीण कार्यालय प्रांगण में एकत्रित हुए तथा प्रबंधन की नीतियों के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया। संगठन ने स्पष्ट किया कि संबंधित अवर अभियंता पर पूर्व में बिना जांच कराए मिसलेनियस आदेश पारित कर मनमाने तरीके से प्रत्येक माह वेतन से कटौती की जा रही है।

इसके बाद 05 माह पश्चात पुनः उसी दोष पर निलंबन आदेश जारी कर दिया गया, जबकि कर्मचारी आचरण नियमावली में एक ही दोष के लिए दो दंड दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। यह कार्यवाही पूर्णतः अन्यायपूर्ण एवं नियमविरुद्ध है। सभा में सभी अवर अभियंता एवं प्रोन्नत अभियंताओं ने एक स्वर में यह निर्णय लिया कि जब तक निलंबन आदेश निरस्त नहीं किया जाता, संगठन का आंदोलन जारी रहेगा।

सभा की अध्यक्षता करते हुए इं० रामकुमार (जनपद अध्यक्ष, झांसी) ने कहा कि संगठन दृढ़ता से यह मांग करता है कि निलंबन आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए, अन्यथा आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। इं० आर.के. त्रिवेदी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, AIFOPDE) ने कहा कि “सरकारी सेवक आचरण नियमावली” तथा अनुशासन एवं अपील नियमावली (U.P. Government Servant Discipline & Appeal Rules, 1999) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि —
एक ही आरोप पर दोहरी सज़ा नहीं दी जा सकती, यदि किसी कर्मचारी को किसी आरोप में वेतन से वसूली जैसी दंडात्मक कार्यवाही दी जा चुकी है, तो वही आरोप पुनः लेकर उसी आधार पर फिर से दंड (जैसे निलंबन, चेतावनी, पदावनति आदि) देना नियम विरुद्ध है।

इं० सुनील कुमार (क्षेत्रीय अध्यक्ष, झांसी) ने कहा कि पूरी कार्यवाही तानाशाही और मनमानी तरीके से की गई है जांच रिपोर्ट बनाए जाने में कई अनियमितताएं हैं जिनके साक्ष्य प्रमाण उपलब्ध हैं। निलंबन स्वतंत्र दंड नहीं है, बल्कि यह केवल एक अंतरिम (Interim) व्यवस्था होती है। सामान्यतः निलंबन तभी किया जाता है जब: गंभीर वित्तीय/अनुशासनात्मक गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच में प्रथम दृष्टया साक्ष्य हों, किंतु यहां नियमों के विपरीत बिना जांच के पहले ही विभाग ने Recovery (वेतन से कटौती) का निर्णय लागू कर दिया है, और 05 माह बाद पुनः निलंबन करना न्याय प्रक्रियागत दृष्टि से उचित नहीं है।

इं० अमित मौर्य (सहायक अभियंता) ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली और अनुशासन नियमों के अनुसार नियमावली कहती है कि एक ही प्रकरण में एक ही प्रकार की कार्यवाही पर्याप्त होगी। यदि अधिकारी को यह लगता है कि पहले दी गई सज़ा (वसूली) पर्याप्त नहीं थी, तो उन्हें उच्चस्तरीय अनुमोदन लेकर केस को पुनः खोलने और नए आरोप पत्र की प्रक्रिया करनी चाहिए, न कि सीधे उसी आरोप पर दोबारा निलंबन कार्रवाई करना नियमविरुद्ध और न्यायसंगत प्रक्रिया का उल्लंघन है।

इं० अनिल कुमार (उपखंड अधिकारी) ने कहा कि उक्त प्रकरण में सर्वप्रथम जांच समिति नियुक्त कर जांच कराया जाना था किंतु बिना जांच के ही वेतन से कटौती आदेश अधीक्षण अभियंता ग्रामीण ने जारी किए जो न्यायसंगत नहीं है। इं० अक्षय कुमार (उपखंड अधिकारी) ने कहा कि जब तक ये गलत निलंबन आदेश निरस्त नहीं होता है संगठन आंदोलन वापस नहीं लेगा हर स्तर पर अधीक्षण अभियंता के तानाशाही आदेश का विरोध किया जाएगा। सभा का संचालन जनपद सचिव रोहित कुशवाहा ने किया एवं

सभा में अवर अभियंता – रमेश चंद, दीपक सिंह, विक्रम, राजीव, नरेंद्र कुमार, रामकरण, रवि गुप्ता, दीपक राजपूत, बलराम , रजनीश, अनिल यादव, संतोष कुमार, विजय कुमार, मोहित कुमार, विक्की वर्मा एवं अन्य साथियों की उपस्थिति रही।