परिवार ने कहा “हम रेल प्रशासन के सदैव ऋणी रहेंगे।”

झांसी। 25 नवंबर को उप मुख्य टिकट निरीक्षक (DCTI) झांसी वंदना मिश्रा गाड़ी संख्या 12650 में निजामुद्दीन से वीरांगना लक्ष्मीबाई के मध्य टिकट जांच ड्यूटी पर तैनात थीं। गाड़ी के निजामुद्दीन स्टेशन से प्रस्थान करने ही वाली थी कि तभी स्कूल यूनिफॉर्म में स्कूल बैग के साथ 12–13 वर्ष की छात्रा भागते हुए श्रीमती मिश्रा के पास पहुँची और घबराहट में पूछा— “मैडम, यह कौन-सा रेलवे स्टेशन है?” निजामुद्दीन स्टेशन होने की जानकारी देने पर छात्रा ने बताया कि वह भोपाल की रहने वाली है और स्कूल से छुट्टी के बाद घर जाने के लिए निकली थी, लेकिन पता नहीं कैसे निजामुद्दीन पहुँच गई।

स्थितियों को समझते हुए श्रीमती मिश्रा ने तुरंत अपनी सतर्कता और मानवीय संवेदना का परिचय दिया। उन्होंने छात्रा को अपने साथ A-1 कोच में सुरक्षित स्थान पर बैठाया तथा टिकट जांच कार्य करते हुए भी लगातार उससे जानकारी लेती रहीं। इस दौरान उन्होंने बच्ची के परिजनों से संपर्क कर उन्हें बच्ची के सुरक्षित होने की सूचना दी।

गाड़ी के ग्वालियर पहुँचने पर वंदना मिश्रा एवं उनकी टीम ने बच्ची को रेल सुरक्षा बल, पोस्ट ग्वालियर के सुपुर्द किया, जहाँ आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर उसे सकुशल उसके माता-पिता तक पहुंचा दिया गया। बच्ची के सकुशल घर पहुँचने पर उसके परिवारजनों ने रेल प्रशासन, टिकट जांच कर्मियों और विशेष रूप से वंदना मिश्रा का हृदय से आभार व्यक्त किया। परिवार ने कहा कि— “जिस सतर्कता, मानवीयता और संवेदनशीलता के साथ रेल कर्मियों ने हमारी बेटी की सहायता की, वह शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती। यदि वंदना मिश्रा समय पर ध्यान न देतीं, तो न जाने क्या हो जाता। हम रेल प्रशासन के सदैव ऋणी रहेंगे।”

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, अमन वर्मा ने इस अत्यंत मानवीय एवं प्रशंसनीय कार्य के लिए वंदना मिश्रा और उनकी टीम की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा उन्हें उपयुक्त पुरस्कार देने की अनुशंसा की। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मियों के कारण ही भारतीय रेल की छवि एक जनसेवी, सुरक्षित और दायित्वनिष्ठ संस्था के रूप में और अधिक मजबूत होती है।