- अवैध दुकानों पर चला जेसीबी का पंजा
झांसी। जिलाधिकारी द्वारा खुले में सड़क किनारे अवैध रूप से कारोबार करने वाले मीट मुर्गा कारोबारियों को चिन्हित कर सख्त कार्यवाही के लिए प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, पशुपालन विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग की संयुक्त टीम का गठन किया गया है। एक साथ पूरे जनपद में मीट मुर्गा के अवैध कारोबारियों पर संयुक्त कार्यवाही से हड़कम्प की स्थिति रही और ऐसे कारोबारी अन्य बाजारों में भी टीम के बारे में सूचना लेते देखे गए।
इसी क्रम में आज नगर मजिस्ट्रेट सलिल पटेल व क्षेत्राधिकारी नगर संग्राम सिंह ने नगर निगम के अतिक्रमण निरोधी दस्ते और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ डंडिया पुरा मुर्गा-मछली मंडी पर सड़क किनारे लगी अवैध दुकानों को हटवाने की कार्यवाही शुरू कर दी। यह देख कर खुले में सड़क किनारे जाली लगाकर कारोबार करने वाले भाग खड़े हुए। नगर निगम टीम के अतिक्रमण निरोधी दस्ते ने जेसीबी से तख्त, जाली आदि ध्वस्त कर अवैध सामग्री वहां से हटवाई। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार पहले भी इन्हें यहां से इन अवैध दुकानों को हटाया जा चुका है मगर कुछ दिनों में ही दोबारा खुले में ही फिर से दुकानें सज जाती हैं। इस पर नगर मजिस्ट्रेट ने चेतवनी दी कि नियमों के अनुसार ही ढक कर वैध पंजीकरण लेकर पक्की दुकानों में मीट मुर्गा कारोबार का संचालन करें अन्यथा अब कानून का अनुपालन न पाए जाने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि यहां के दो अवैध कारोबारियों पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा दो दिन पहले ही खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 अन्तर्गत बिना पंजीकरण कारोबार करने पर न्याय निर्णायक अधिकारी के न्यायालय में अभियोजन दर्ज कराया गया था।
इसी प्रकार उप जिलाधिकारी मऊरानीपुर ने भी अधिशासी अधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी व पुलिस बल के साथ नगर पालिका मऊरानीपुर में अवैध मीट मुर्गा कारोबारियों को खदेड़ा और सख्त कार्यवाही की चेतावनी दी। अभिहीत अधिकारी राजेश द्विवेदी ने बताया कि अब तक 61 अवैध कारोबारियों पर अभियोजन दर्ज कराया गया है, जिसमें न्याय निर्णायक अधिकारी के न्यायालय से लगभग सात लाख चौवालीस हजार जुर्माना हुआ है। सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र में अवैध मीट मुर्गा कारोबारी चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिस पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम अंतर्गत नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। सुधार न होने पर पुलिस व पशुपालन विभाग द्वारा आईपीसी और पशु क्रूरता अधिनियम की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।