- मुख्य द्वार के पिलर का साथ टाइल्सों ने छोड़ा
झांसी। उत्तर मध्य रेलवे के प्रमुख झांसी स्टेशन के सौंदर्यीकरण पर लीपापोती के दाग लगना शुरू हो गए हैं। इसके पीछे स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए किए जा रहे निर्माण व मरम्मत कार्यों में कतिपय ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे घालमेल प्रमुख कारण है। इसका उदाहरण स्टेशन पर कई जगहों पर देखा जा सकता है। हाल ही में झांसी स्टेशन के मुख्य प्रवेश व निकासी द्वार पर बनाए गए पिलर इसका जीता जागता उदाहरण बन गए हैं, किन्तु किसी अफसर को इन बदनुमा दाग की चिन्ता नहीं है पर मीडिया अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए रेल अफसरों को आइना दिखा कर जाग्रत करने का प्रयास कर रही है यह बात दीगर है कि अफसरों को दाग अच्छे लगने लगें तो कोई कार्यवाही नहीं हो।
दरअसल, वीरांगना लक्ष्मीबाई की नगरी का रेलवे का प्रवेश द्वार झांसी स्टेशन पर लगातार लम्बे समय से सौंदर्यीकरण के नाम पर तहर-तरह के काम चल रहे हैं और जो योजनाएं पाइप लाइन में हैं उनसे लगता है कि कई वर्षों तक इसका क्रम टूटने वाला नहीं है। इसके चलते ठेकेदारों की बन आयी है। हालत यह है कि ठेकेदारों द्वारा कतिपय निर्माण कार्योंमें मानकों को दरकिनार कर काम कराया जा रहा है। इसकी जानकारी उन्हें है जिनके कंधों पर मानकों के अनुसार काम कराने की है, किन्तु धन लक्ष्मी की कृपा से सब कुछ चलता है की तर्ज पर चल रहा है। इस तरह के कामों की लम्बी फेहरिश्त है, किन्तु हम यहां स्टेशन के मुख्य प्रवेश व निकासी द्वारों की सुन्दरता पर चार चांद लगाने के लिए बने पिलरों की बात कर रहे हैं।
स्टेशन के प्रवेश व निकासी के द्वारों पर बड़े-बड़े दो-दो पिलर को कुछ माह पूर्व ही बनाया गया था। इन पिलर पर टाइल्स लगाए गए थे। टाइल्स लगाने में सीमेण्ट आदि सामग्री को मानक के अनुरूप नहीं लगाए जाने का हश्र यह हुआ कि पिलर पर लगे कई टाइल्स गिर गए। आज दोपहर भी कई टाइल्सों ने पिलर का साथ छोड़ दिया। इससे साबित हो गया कि पिलर निर्माण में मानकों का कितना पालन किया गया। अब रेल अफसर इसकी जांच कर कार्यवाही करें या न करें, किन्तु पिलर हो देख कर जनता सवाल तो करती ही है और मीडिया तो आइना दिखाता ही है अब किसी को बुरा लगे तो लगता रहे।












