झांसी। रेलवे स्टेशन रोड, पारीछा में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के छठवें दिवस कथा व्यास श्री कृष्णचन्द्र शास्त्री (ठाकुर जी) ने कहा कि जीव और ईश्वर के बीच में अविद्या का पर्दा पड़ा है इसलिये ईश्वर हृदय में होते हुये भी दिखाई नहीं देता। जिस प्रकार कपड़े में लिपटा पारस मणि लोहे को सोना नहीं बना सकता उसी प्रकार अविद्यारूपी कपड़ा जब तक नहीं हटेगा तब तक हमें परमात्मा के दर्शन नहीं होगें। गृहस्थ आश्रम में होने के बाद भी चिंतन श्रेष्ठ है जो अनन्यता से भगवान का चिंतन कर उपासना करता है उसका योगक्षेम परमात्मा करते हैं। विडम्बना यह है कि हम चिंता छोड़ते नहीं और चिंतन करते नहीं। जीव का जन्म एवं मृत्यु तक कर्म से नाता होता है। सुख-दुख कल्याण जो भी हमें प्राप्त होता है वह कर्म से ही मिलता है ईश्वर भी उसी को फल देते हैं जो कर्म करता है।
उन्होंने पर्व नंदोत्सव के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये भागवत भास्कर ने कहा कि परमात्मा की दृष्टि से बने सभी जीवों में सबसे सुशील गौ-माता होती है। कृष्ण के जन्म पर प्रसन्न होकर नंद बाबा ने दो लाख गायें दान कीं। मुख्यमंत्री योगी के गौ प्रेम की सराहना करते हुये उन्होंने गौ पालन का सभी से आवाहन किया। गाय को उपयोगी बताते हुये कहा कि गाय केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही है दुनिया के अन्य देशों में नहीं वैज्ञानिकों के अनुसार गिरिनार गाय के मूत्र में सोना मिलने के प्रमाण मिले हैं। वे कहते हैं कि संत और ब्राम्हण तो समाज के सच्चे दर्पण हंै और क्षत्रिय समाज इनका रक्षक। पूतना बध, सक्टासुर, अघासुर, वकासुर का उद्धार, कालिया नाग मानमर्दन, सोलह संस्कारों का वर्णन सहित उन्होंने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का विस्तार से बखान किया। गोपियों के चीर हरण का प्रसंग सुनाते हुये कथा व्यास ने कहा कि नदियों में गंगा ज्ञान, यमुना भक्ति एवं सरर्य वैराग्य हैं। उसी प्रकार शहरों में काशी ज्ञान, वृन्दावन भक्ति एवं अयोध्या वैराग्य की भक्ति है। कृष्ण ब्रम्ह एवं कालिया नाग पाखण्ड है यमुनारूपी भक्ति में पाखण्डरूपी कालिया नाग आयेगा तो भक्ति अवश्य ही प्रर्दशित हो जायेगी।
अपने श्रीमुख से ज्ञान गंगा बहाते हुए कथा व्यास ने कहा कि हमारा समाज यदि कर्मनिष्ठ यदि कर्मयोगी बने तभी राष्ट्र प्रगति करेगा भाग्य के भरोसे रहना आलसियों के लक्षण हैं। कर्मयोगी, परिश्रमी, उद्योगी व्यक्ति ही जीवन में अपार सम्पदा प्राप्त कर सकता है। गिरिराज पर्वत का प्रसंग सुनाते हुये वे कहते हैं कि बृजवासियों ने पूरे श्रद्धा भाव से सब कुछ प्रभु के चरणों में सब कुछ समर्पित कर दिया तो सात वर्ष के कृष्ण ने सात कोस लम्बा चैड़ा भारी भरकम पर्वत अपने बायें हाथ की अंगुली पर सात दिनरात उठाकर बृजवासियों की रक्षा की। पर्वत की संज्ञा दुखरूपी पहाड़ों को देते हुये वे कहते हैं कि भगवान हमारे जीवन में आने वाले दुखों का पहाड़ तो उठायेंगे ही पर ग्वालवालों की भांति हम सबको अपने कर्मरूपी प्रयास की लाठी लगानी होगी।
प्रारम्भ में मुख्य यजमान कमली-राजीव सिंह पारीछा (विधायक बबीना) ने श्रीमद् भागवत पुराण का पूजन कर आरती उतारी एवं मंच पर विराजमान श्रीधाम अयोध्या के महंत वैदेही बल्लभ शरण, पं. गोपाल त्रिवेदी, रवि महाराज, गोर्ल महाराज, भगवताचार्य मनोज चतुवेर्दी, आचार्य अविनाष आदि का माल्यार्पण कर शुभाशीष लिया। संचालन एवं आभार पं. हरिओम थापक ने व्यक्त किया। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, सेवायोजन मंत्री मन्नू लाल कोरी, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के अध्यक्ष कुं. मानवेन्द्र सिंह, टीकमगढ़ के सांसद वीरेन्द्र खटीक, कालपी विधायक नरेन्द्र सिंह जादौन, हरदोई विधायक आषीष सिंह पटेल, सदर विधायक रवि शर्मा, मऊरानीपुर विधायक बिहारी लाल आर्य, गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत, ललितपुर विधायक रामरतन कुशवाहा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री भवानी सिंह, दैनिक जागरण के निदेशक यशोवर्धन गुप्त, पूर्व एम.एल.सी. श्यामसुन्दर सिंह, मण्डलायुक्त सुभाषचन्द्र शर्मा, डी.आई.जी. सुभाष सिंह बघेल, कृषि विवि के कुलपति अरविन्द कुमार, जिलाध्यक्ष जमुना कुशवाहा, महानगर अध्यक्ष मुकेश मिश्रा, पूर्व विधायक डमडम व्यास, पूर्व जिलाध्यक्ष जगदीश सिंह चैहान, अशोक राजपूत, संजय दुबे, महावीर सिंह जादौन, संतोष सोनी, चेयरमैन सहकारी बैंक जयदेव पुरोहित, हरिराम निरंजन, प्रदीप चैबे ललितपुर, पुरूषोत्तम स्वामी टीकाराम पटेल, जिला महामंत्री अरूण सिंह, विनोद नायक, जिनेन्द्र जैन, सुधीर सिंह एड., संजय पटवारी, पूर्व ब्लाक प्रमुख पंजाब सिंह यादव, बलराम राजपूत, चरन सिंह यादव, सांसद प्रतिनिधि अतुल अग्रवाल, संतराम पेंटर, न्यास के मानद सचिव रमेश बिरथरे, देवेन्द्र गुप्ता, अमित साहू, सौरभ गुप्ता, प्रदीप सरावगी, श्यामजी गुप्ता, मुख्य अभियंता संजय कुमार, रूद्रप्रताप सिंह गौर, चित्रा सिंह, शशि प्रभा मिश्रा, गिरजा तिवारी, कुलदीप दांगी, मोहन पुरवार, राजबिहारी राय आदि मौजूद रहे।