• गूगल में झांसी स्टेशन के इतिहास व कथित मूर्धन्यों की तिथि/वर्ष में असमानता
    झांसी। वीरांगना लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी में रेलवे स्टेशन के निर्माण एवं उदघाटन की तिथि को लेकर भ्रांतियों से चर्चाओं का बाजार गर्म है। उदघाटन की वास्तविक/सही तिथि क्या है, कहीं प्रमाण नहीं दिखाई देता है। यह हम नहीं कह रहे इसके पीछे गूगल में दर्ज झांसी स्टेशन का इतिहास है। इस इतिहास में स्पष्ट दर्ज है कि झांसी स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने 1880 के दशक के अंत में किया था, किन्तु इस स्टेशन का उदघाटन किस दिन/तिथि को हुआ या स्टेशन से पहली गाड़ी किस दिन/तिथि को चली या निकली की जानकारी इसमें भी दर्ज नहीं है। हालत यह है कि रेल प्रशासन के अफसरों को भी सही-सही तिथि/दिन व वर्ष की जानकारी नहीं है और यदि होती तो दशकों बाद इस तिथि/दिन/वर्ष को कहीं दर्शाया जाता या फिर गूगल में जानकारी सही करायी जाती तो यह भ्रांति नहीं रहती।
    इस सबके विपरीत कौआ कान ले गया—कहावत रूपी परम्परा के तथा कथित मूर्धन्य स्टेशन के उदघाटन की एक अलग तिथि (एक जनवरी वर्ष 1889) साबित करने में लगे हैं। हालत यह है कि पिछले वर्ष एक जनवरी को स्टेशन के उदघाटन की तिथि बता कर केक कटवा दिया गया था और आज दूसरे वर्ष भी इस परम्परा को बरकरार रखने के लिए बनाए गए कथित दबाव के चलते आनन-फानन में तैयारियां कर केक कट गया। यह साबित करता है कि यदि सही तिथि होती तो कार्यक्रम पूर्व निर्धारित होतो व अफसरों को इसकी जानकारी होती। इससे सवाल उठना लाजमी है कि इसके पहले दशकों तक स्टेशन के उदघाटन की तिथि गुमनाम क्यों रही, क्या झांसी स्टेशन पर कहीं ऐसा कोई शिलालेख या रेलवे के दस्तजावेजों में ऐसा कोई दस्तावेज है जिससे झांसी स्टेशन के उदघाटन की तिथि की वास्तविकता उजागर होकर भ्रांतियों पर विराम लग सके। इस सवाल पर रेल प्रशासन ही नहीं झांसी के इतिहासकारों को भी गम्भीरता से चिंतन मनन कर उत्तर तलाश कर वास्तविकता उजागर करने के साथ ही गूगल पर भी अपडेट कराया जाना चाहिए अन्यथा तथा-कथित मूर्धन्य कौआ कान ले गया को सही साबित करके छोड़ेंगे। इस तथा-कथित गलत जानकारी का प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए झांसी स्टेशन के इतिहास से सम्बन्धित सवाल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
    गूगल पर झांसी स्टेशन का इतिहास
    गूगल के अनुसार झांसी स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने 1880 के दशक के अंत में किया था। तीन स्थानों के लंबे सर्वेक्षण के बाद वर्तमान स्थल को स्टेशन के लिए चुना गया था। स्टेशन में एक विशाल किले जैसी इमारत है जिसे मरून और श्वेत रंग में रोंगन किया गया है। स्टेशन में शुरुआत में तीन प्लेटफार्म थे। प्लेटफ़ॉर्म एक 2,525 फीट (770 मी) लंबा था जो कि भारत में पांचवां सबसे लंबा है। यह एक समय में दो ट्रेनों को आसानी से संभाल सकता है। झांसी जंक्शन इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी का केंद्र बिंदु था जिसने झांसी जंक्शन से सभी दिशाओं में रेडियल लाइन बिछाई और झांसी में बड़ी कार्यशाला का प्रबंधन किया। भारत की पहली शताब्दी एक्सप्रेस नई दिल्ली और झांसी-भोपाल के बीच शुरू हुई। झांसी रेल मण्डल पहले मुंबई में मुख्यालय वाले मध्य रेलवे जोन का एक हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब यह उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन के अन्तर्गत आता है जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है। यह तो रही गूगल के इतिहास की बात, किन्तु अब स्टेशन का व्यापक विकास हो चुका है इसके बारे में गूगल में अपडेट नहीं कराया गया है, इसे इस युग में दुर्भाग्य नहीं जो क्या कहा जा सकता है।