• राजकीय उद्यान में कृषकों को दिया प्रशिक्षण
    झांसी। उपनिदेशक उद्यान भैरम सिंह ने बताया कि कृषक सब्जी, फल, फूल की खेती कर आमदनी बढ़ायें। सरकार की मंशा है कि वर्ष 2022 तक किसान की आय दोगुनी हो यदि किसान खेती कार्य के साथ सब्जी, फल, फूल की खेती करेंगे तो लाभ सुनिश्चित है और आपदा का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। बुंदेलखंड में औषधीय खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है व इसके लिए अनुदान दिया जा रहा है। किसान योजना का लाभ लेने हेतु अपना पंजीकरण कराएं।
    राजकीय उद्यान नारायन बाग में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (जिला औद्यानिक मिशन) योजना अन्तर्गत कृषक प्रशिक्षण (सामान कृषक) कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उप निदेशक उद्यान ने उक्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक किसानों द्वारा जो जानकारी दी गई है उसको खेत में लेकर जाएं। भिंडी, लौकी, खरबूज तथा तरबूज के फाउंडेशन बीच बाजार दाम से बेहद कम दामों में उपलब्ध है। किसानों लाभ उठाएं और अच्छी फसल के लिए एक उन्नतशील प्रजाति के बीजों का लाभ ले। बीज नारायण बाग में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र भरारी के वैज्ञानिक उद्यान डॉ हिमांशु सिंह ने किसानों को सब्जियों को संरक्षित करने व बुंदेलखंड में कौन सी फसल लाभदायक है की जानकारी देते हुए इसके लिए के वीके से जुडऩे को कहा। उन्होंने क्षेत्र के लिए लाभदायक काशी नन्दनी मटर एवं टमाटर की खेती के लिए काशी यमन को अपनाने का सुझाव दिया और बताया कि इसे एक सप्ताह कर स्टोर किया जा सकता है।
    केवीके से आए डॉक्टर आदेश कुमार ने मिर्च की खेती में कुकरा रोग के निदान की जानकारी देते हुए बताया कि अंतर प्रभावी कीटनाशी से नर्सरी का उपचार के उपाय करके रोपाई करें और दोबारा 1 सप्ताह बाद छिड़काव करें, ऐसा करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र भरारी के शस्य वैज्ञानिक डॉ विमल राज यादव ने केंद्र द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी उन्होंने दोगुनी आय हेतु फसल विविधीकरण एवं एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने पर जोर दिया। किसानों से बात करते हुए डा विमल राज यादव ने बुंदेलखंड क्षेत्र हेतु ताप नियंत्रण सरसों की प्रजाति आर एच 406, आर एम 749, गिरिराज का प्रयोग करने की सलाह दी। मृदा वैज्ञानिक डॉ अतीक अहमद ने किसानों को मृदा परीक्षण के आधार पर ही संतुलित उर्वरक का प्रयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने जैविक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कंपोस्ट बनाने की विधि एवं प्रयोग करने की सलाह दी। इस मौके पर डॉ पीके सोनी वैज्ञानिक, नरेंद्र कुमार जैन, नीरज सचान सहित किसान उपस्थित उपस्थित रहे।