• बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव 2020 का दूसरा दिन
    झांसी। बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव 2020 का दूसरा दिन अपने में कई नई विधाओं को समेटे रहा और कई विषयों का साक्षी रहा। संयोजक डा पुनीत बिसारिरया ने सत्रों की जानकारी दी। प्रथम सत्र में बाजार और साहित्य पर चर्चा हुई इसमें श्रीहरि त्रिपाठी, पंकज चतुर्वेदी, दिनेश श्रीनेत्र, साकेत सहाय, नवीन चौधरी, राजेश श्रीवास्तव के मध्य चर्चा हुई। श्रीहरि ने कहा कि साहित्य जरूरी नहीं है कि बाजार के दबाव में काम करे। दिनेश श्रीनेत्र ने कहा कि साहित्य और सत्ता एक साथ धारा में नहीं बह सकती। बाजार ही पाठक और साहित्य को जोड़ता है। साहित्य सत्ता का प्रचार साधन नहीं हो सकता। साकेत साहाय ने कहा की रचनाकार जितना ही बाजार को दुत्कारता है उतना ही वह उसके घर आता जा रहा है। विद्रोही वनिता परिचर्चा में प्रो श्रद्धा सिंह, अंकिता जैन, ऋतु दुबे, डा प्रीति यादव व अचला पाण्डेय ने भाग लिया। इसमें स्त्री पुरूष समन्वय, स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के अंतर को समझना, निर्णय की आजादी, सुन्दरता व अश्लीलता को पहचानने की जरूरत आदि विषय पर विचार विमर्श हुआ।
    पर्यटन सत्र में प्रो देवेश निगम, प्रो प्रतीक अग्रवाल, डा उमा पराशर, संतोष शर्मा और हितेश शर्मा ने साहित्य और पर्यटन के साथ विकास पर जोर दिया। इसमें लोगेां को शामिल करने के साथ बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया। इतिहास के झरोखे में बुन्देलखण्ड में हरगोविंद कुशवाहा, डा नीति शास्त्री, मुकुन्द मेहरोत्रा, डा पंकज शर्मा ने बुन्देली इतिहास के कई प्रसंगों से श्रोताओं को अवगत कराया। विषय विशेषज्ञों ने कहा कि हमारा इतिहास समृद्ध है बस इसके प्रसार की आवश्यकता है। सोशल मीडिया माने हम भी पत्रकार परिचर्चा में ऋचा अनिरूद्ध, दिनेश श्रीनेत्र, नवीन कुमार, ऋतु दुबे, केपी सिंह ने भागीदारी कर सोशल मीडिया के सकरात्क पक्षों को मजबूती प्रदान करने के लिये अपनी सहमति दी।
    महोत्सव के अंतर्गत अनेक प्रतियोगिताओं की संयोजिका डा नीति शास्त्री ने बताया कि चित्रकला प्रतियोगिता के अंतर्गत बुन्देली लोक संस्कृति पर प्रतिभागियों चित्र बनाये। दो वर्गों में बेबी शो का आयोजन किया गया इसमें प्रथम 1 से 2 वर्ष के बच्चों के लिये दूसरा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिये। बुन्देली परिधानों के अंतर्गत बुन्देली मोड़ा, बुन्देली मोड़ी, बुन्देली ग्राम प्रधान और बुन्देली किसान पर प्रतियोगिता की गई। बुन्देली वधु प्रतियोगिता में ऋचा कनकने प्रथम एवं सुरभि कनकने ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। रस्सा कसी प्रतियोगिता बालक एवं बालिका दोनों वर्गों में आयोजित की गई। इसमें पुरूषों का फाइनल पुलिस और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के छात्रों के बीच खेला गया। इसमें छात्र विजयी रहे। इन प्रतियोगिताओं में निर्णायकों में डा नीति शास्त्री, डा अचला पाण्डेय, डा उमा पराशर और डा सुशमा शिवहरे रहीं। मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सुभाष शर्मा एवं सुशीला शर्मा रहीं। पुरस्कारों का वितरण इनरव्हिल क्लब क द्वारा किया गया। इसमें नीलम गुप्ता, निरूपमा मोहन, सुमन राय, अलका जैन, सीता गुप्ता आदि उपस्थित रहीं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा नाटक अविरल गंगा, प्रो सृष्टि माथुर द्वारा शास्त्रीय गायन, धर्मेंद्र और समुह द्वारा बुन्देली फाग, सविता यादव द्वारा हरदौल गायन, रिंकु असौलिया द्वारा बुन्देली नृत्य, रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा फोक आक्रेस्ट्रा एवं बरेदी नृत्य, भगवानदास और समुह द्वारा कछियाई नृत्य और नवल किशोर द्वारा नटवरी कत्थक व मयूर नृत्य प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की समन्वयक डा रेखा ने बताया की कल भी समापन समोरोह सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। सचिव चंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि महोत्सव में कला और साहित्य के अलावा अथाई मंच, हुनर हाट और हस्तशिल्प के अनेक स्टाल लगे हैं। लगभग पचास से अधिक प्रकाशक भी देश और दुनिया कि अनेकों किताब के साथ आये हैं।