• नेत्र आपरेशन वाले मरीजों को एक हजार की दवा खरीद कर लाना मजबूरी
    झांसी। सरकार द्वारा राजकीय अस्पतालों मे मरीजों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, किन्तु सरकारी अस्पतालों में तथा-कथित कर्मचारी सीधे-साधे मरीजों व तीमारदारों को भ्रमित कर बाजार से दवाएं खरीद कर लाने को मजबूर किया जाता है। इसका उदाहरण जिला राजकीय अस्पताल (पुरुष) के नेत्र वार्ड व ओटी ब्लाक में उस समय देखने को मिला जब नेत्र आपरेशन करा चुके मरीजों व उनके तीमारदारों को पता चला कि अस्पताल में सभी दवाएं नि:शुल्क मिलती हैं, किन्तु उन्हें बाजार से लगभग एक हजार रुपए की दवाएं जबरन खरीदने को मजबूर किया गया। मरीज व तीमारदार घण्टों अस्पताल में हंगामा करते रहे पर सीएमएस या चिकित्सकों ने उनकी एक नहीं सुनी। थकहार कर मरीज व तीमारदार व्यवस्था को कोसते हुए चले गए।
    दरअसल, बुन्देलखण्ड ही नहीं आसपास के मध्य प्रदेश के जिलों से बढ़ी संख्या में मरीज अपने नेत्रों का आपरेशन कराने जिला मुख्यालय पर स्थित जिला अस्पताल आते हैं क्योंकि यहां नेत्र आपरेशन व लैंस प्रत्यारोपण की सेवा नि:शुल्क है। हालत यह है कि अस्पताल के नेत्र विभाग के नेत्र वार्ड व ओटी ब्लाक में प्रतिदिन सौ-डेढ़ सौ नेत्र रोगी लाभान्वित होते हैं। इसको देखते हुए अस्पताल के कतिपय कर्मचारियों व दलालों ने सीधे-साधे मरीजों व तीमारदारों को लूटने का जरिया बना लिया है। मरीजों की मानें तो उन्हें नेत्र वार्ड व ओटी ब्लाक में कतिपय कर्मचारियों द्वारा आपरेशन से पहले तीन सौ रुपए की दवाएं व आपरेशन के बाद सात सौ बीस रुपए की दवाएं बाहर से खरीदने के लिए पर्ची दी जाती है। उन पर दबाव बनाया जाता है कि पहले वह दवा लेकर आएं तब उनका आपरेशन होगा व आंखों की पटटी खोली जाएगी। कथित कर्मचारियों के दबाव के चलते मरीज या तीमारदार बाहर से दवा खरीद कर लाने का विरोध नहीं कर पाता। यह गोरखधन्धा लगातार जारी है, कई बार मीडिया में उछाला गया पर कोई कार्यवाही नहीं होने से दलालों के हौंसले बुलन्द हैं।
    गत दिवस नेत्र वार्ड व ओटी ब्लाक में दवाओं की पर्ची लिखते एक मेडिकल रिपर्जेन्टेटिव (एमआर) को लोगों ने भगाया था, किन्तु आज पुन: वही ढर्रा चल निकला। गत दिवस लगभग डेढ़ सौ ऐसे मरीजों के नेत्र आपरेशन किए गए थे जो सीनियर सिटीजन थे। आज इन मरीजों को आंख की पटटी खुलने के लिए बुलाया गया था। आई ओटी ब्लाक में मरीजों को पटटी खोलने वाले तथा कथित कर्मचारी ने पर्चियां वितरित कर दवा बाहर से लाने को कहा। उसका कहना था कि जब तक दवा नहीं आएगी तब तक वह पटटी नहीं खोलेगा। इस पर डेढ़ सौ मरीजों के तीमारदार अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से सात सौ बीस रुपए की दवा लेकर पहुंच गए। दवा की थैलियां दिखाने पर उक्त कर्मचारी द्वारा उनकी आंख की पटिटयां खोलीं। इस बीच जब उन्हें पता चला कि अस्पताल में दवा नि:शुल्क मिलती है, बाहर से दवा नहीं खरीदी जाती तो उन्होंने हंगामा कर दिया। हंगामा होते देख कर उक्त कर्मचारी इधर-उधर हो गया। सूचना मिलने पर मीडिया कर्मियों की टीम वहां पहुंच गयी। मरीजों ने अपने लूटे जाने की कहानी बतायी। इस मामले में आपरेशन कर रहे चिकित्सक व सीएमएस से बात की गयी तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी को बाहर से दवा खरीदने के लिए नहीं कहा गया है जबकि मरीज व तीमारदार चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे उन्होंने जो दवा बाहर से खरीदी है। आई ओटी ब्लाक के बाहर काफी देर तक मरीज व तीमारदार प्रदर्शन करते रहे, किन्तु कोई उनके साथ की जा रही लूटमार की व्यथा सुनने नहीं आया। इस पर सभी व्यवस्था को कोसते हुए चले गए। जिलाधिकारी को इस मामले को गम्भीरता से संज्ञान में लेकर सरकार की छबि को धब्बा लगा रहे दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए।
    आयुष्मान कार्डधारक को भी नहीं बख्शा
    इस मामले का आश्चर्य जनक पहलू यह भी रहा कि दलाल ने आयुष्मान कार्ड धारक विश्राम सिंह नामक मरीज को भी नहीं बख्शा। वह कार्ड दिखा कर कहता रहा कि इस पर पांच लाख रुपए तक का इलाज नि:शुल्क है, किन्तु दलाल ने उसकी एक नहीं सुनी। जब बाहर से उसकी दवा की थैली आ गयी तब उसकी पटटी खुली।