झांसी/आगरा। देेेेश में लॉक डाउन की तिथि बढ़ने से कोटा में इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई कर रहे विविध राज्यों के छात्र-छात्राओं में अफरातफरी मच गई है। उन्होंने कोटा से वापस अपने अपने घर लौटने की हाय तोबा मचाना शुरू कर दी। इसके चलते उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा कदम उठाया है कि सभी तरफ सराहना की जा रही है। कोटा में फंसे छात्र छात्राओं को अपने अपने गृह जनपद पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर आगरा से 150 व झाांसी से 100 रोडवेज की बसें कोटा पहुंच गई हैं और वहां से छात्र छात्राओं को लाने का काम शुरू हो गया है। इन बसों में पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं। बसों में छात्रों को शाम का भोजन कराकर सभी को मास्क, सैनिटाइजर और नाश्ते का पैकेट के साथ पानी की बोतल भी दी जाएगी। इन बसों में कोटा के कोचिंग संस्थानों द्वारा तैयार सूची के अनुसार छात्रों को बसों में शिफ्ट किया जा रहा है। गौरतलब है कि कोटा में फंसे विद्यार्थियों ने खुद ही ट्विटर पर एक अभियान छेड़ दिया था, जिसको “SEND US BACK HOME” नाम दिया है। इस अभियान के तहत कोटा के छात्रों की ओर से करीब 80 हजार ट्वीट किए गए थे। इससे लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। कोटा की कोचिंग संस्थानों के मुताबिक करीब 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए आते हैं, लेकिन दिसम्बर के बाद ही कोर्सेज पूरे होना शुरू हो जाते हैं. ऐसे में इन दिनों यहां 20 प्रतिशत ही ऐसे छात्र है जिनका या तो परीक्षा केन्द्र कोटा में है या फिर जो अगले वर्ष भी पढ़ाई जारी रख रहे हैं। इनमें सभी करीब 10 हजार छात्र अपने परिजनों या कोटा जिला प्रशासन से परमिशन लेकर वापस अपने गृह राज्यों की तरफ लौट गए हैं। अब केवल 30 हजार बच्चे ही कोटा में बचे हैं। ऐसे में कोचिंग संस्थानों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के करीब 8000 बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं। इसके अलावा बिहार के करीब 7 हजार , मध्यप्रदेश के 3500, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र करीब दो-दो हजार छात्र फंसे हुए हैं। वहीं, नॉर्थ-ईस्ट और पश्चिम बंगाल के एक-एक हजार छात्र भी कोटा में ही है। इनके लिए किसी तरह की व्यवस्था अभी नहीं की गई है।