झांसी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्ट्राइड (स्कीम फॉर ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडिआस डेवलपिंग इकॉनमी) कॉम्पोनेन्ट एक के तहत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त परियोजना के अंतर्गत रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स एवं IPR & पेटेंटिंग विषय पर आयोजित कराये जा रहे सात दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारम्भ 24 सितम्बर को बुविवि के इनोवेशन सेंटर में स्ट्राइड परियोजना के संयोजक, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो. एम्.एम्.सिंह की अध्यक्षता में किया गया I
सूच्य है कि 30 सितम्बर तक चलने वाले उक्त प्रोग्राम में उच्च शिक्षा के सन्दर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शोध एवं प्रकाशन के उसूल, प्रकाशन से सम्बंधित टूल्स, शोध परियोजना, शोध पत्र लिखने के तरीकों, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स तथा पेटेंटिंग प्रक्रिया पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. जे वी वैशम्पायन, पूर्व कुलपति प्रो. अविनाश चंद्र पांडेय, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो. यू. एन. द्विवेदी, राष्ट्रीय तकनीकी संसथान, वारंगल के प्रो. डी. हरनाथ, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के प्रो. आनंद कर, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. विनीत कुमार द्वारा व्याख्यान दिए जायेंगे I उद्घाटन सत्र में आज गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज तथा प्रोजेक्ट राइटिंग पर बायोमेडिकल साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ. रामबीर सिंह द्वारा व्याख्यान दिया गया I
उद्घाटन सत्र में प्रो. एम्.एम्.सिंह द्वारा रिसर्च एवं पब्लिकेशन एथिक्स की जानकारी के आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही प्रोजेक्ट एम्.एम्.सी सदस्य प्रो. सुनील काबिआ द्वारा स्ट्राइड के अंतर्गत किये जा रहे प्रयासों को सराहा गया I परियोजना के समन्वयक डॉ. लवकुश द्विवेदी द्वारा परियोजना तथा फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की रूपरेखा, प्रथम बैच में अपनायी जा रही विभिन्न प्रक्रियाओं आदि प्रस्तुत की I ध्यातव्य है कि उक्त फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में बू.वि.वि., कानपुर विश्वविद्यालय, एमिटी यूनिवर्सिटी जयपुर, लखनऊ, हरियाणा, सतना, जबलपुर, इंदौर ग़ाज़ियाबाद, गुडगाँव सहित देश के विभिन्न संस्थानों से कुल 50 शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं, कार्यक्रम के दौरान कोर समिति के सदस्य डॉ. नीता यादव, डॉ. राहुल शुक्ला, डॉ. नेहा मिश्रा, डॉ. राजदीप कुदेसिया, डॉ, मुकुल पस्तोर, डॉ. विजय कुमार सिंह, श्री रोहित पियरडन मौजूद रहे I
मानव संसाधन एवं कौशल विकास के उद्देश्य के साथ शुरू किये गए इस त्रिवर्षीय परियोजना में लगभग 200 शिक्षकों, विद्यार्थियों, तथा शोधार्थियों को चार चरणों में प्रशिक्षण के माध्यम से, उत्तम शोध कार्य हेतु सक्षम बनाने की योजना है I