झांसी। घर में घुसकर गाली-गलौज, मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने के मामले में जिला कारागार में बंद आरोपियों को जेल से रिहाई नहीं मिल सकी। आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्र प्रभारी सत्र न्यायाधीश संजय कुमार तृतीय के न्यायालय में निरस्त कर दिये गये।
जिला शासकीय अधिवक्ता मृदुल कान्त श्रीवास्तव के अनुसार वादी मुकदमा १४ नवम्बर २०२० को अपने परिवार के साथ घर में रात्रि ८ बजे लगभग पूजा कर रहा था तभी बृजेन्द्र बरार,अरविन्द बरार, रवेन्द्र उर्फ चिकला पुत्रगण संतोष बरार एवं बाबी बरार पुत्र लक्ष्मी ने उसके घर के अन्दर घुसकर गाली-गलौज करते हुए हमला बोल दिया और उसकी जमकर मारपीट कर दी। अरविन्द ने लाठी से प्रहार कर सिर फाड़ दिया। पूरे शरीर में मुंदी चोटें हैं। उसकी मां जशोदा की हाथ की अंगुली बृजेन्द्र ने काट दी एवं बाबी ने प्रीतम व रितिक की मारपीट कर दी। उक्त लोग जान से मारने की धमकी देकर चले गये। तहरीर के आधार पर अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा ४५२, ३२६, ३२३, ५०४,५०६ भा० द० सं० के तहत थाना बरुआसागर में मुकदमा पंजीकृत किया गया। उक्त मामले में जिला कारागार में बंद आरोपी रविन्द्र उर्फ चिकला, अरविन्द बरार द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र का एडीजीसी श्री श्रीवास्तव द्वारा विरोध किए जाने पर न्यायालय द्वारा प्रार्थना पत्र निरस्त्र कर दिया गया।