– चीनी कंपनियां नहीं कर पाएंगे अब भारत में काम

 – कैट ने लिखा था रेल मंत्री को पत्र, बड़े प्रोजेक्ट में चीनी कम्पनियों पर भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने क़ी माँग उठाई थी

झांसी। रेल मंत्रालय द्वारा वन्दे भारत प्रोजेक्ट में सीआरआरसी-पायोनियर इलेक्ट्रिक इंडिया जिसने बीजिंग स्तिथ चीनी सीआरआरसीं- योंगज़ी इलेक्ट्रिक लिमिटेड और भारत के हरियाणा में फिल-मैड लिमिटेड के भाग न देने के निर्णय का कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) की मांग को देखते हुए ने स्वागत किया है और कहा यह कार्रवाई घरेलू भारतीय कंपनियों की क्षमताओं को विकसित करने की ओर एक बड़ा महतवपूर्ण कदम है

कैट के राष्ट्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी ने बताया कि विगत 10 जुलाई को कैट ने गलवान घाटी पर चीनी सैनिकों के आक्रमण के बाद में रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर माँग की थी की वन्दे भारत परियोजना में किसी भी चीनी कम्पनी या चीन से सम्बंधित किसी भी भारतीय कम्पनी को भाग लेने के लिए प्रतिबंधित किया जाए । कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल, कैट के राष्ट्रीय मंत्री संजय पटवारी ने आज कहा की हमें खुशी है कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को अमली जामा पहनाते हुए वन्दे भारत परियोजना में चीन के साथ संयुक्त रूप से काम करने वाली कम्पनी को भाग लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है ।

संजय पटवारी ने कहा भारत में 5 जी संचार नेटवर्क रोलआउट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीन के हुआवेई और जेडटीई कॉर्पोरेशन को प्रतिबंधित करने की अपनी मांग भी आज दोहराई है । रेल मंत्रालय के निर्णय से दुनिया को स्पष्ट संदेश जाता है कि भारत में किसी भी सामान का उत्पादन करने में स्वयं में सक्षम है। रेल मंत्री को भेजे गए 10 जुलाई के कैट के पत्र में व्यापारी नेताओं ने रेलवे, पुलों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में किसी भी रूप में चीनी कंपनी की भागीदारी पर रोक लगाने की मांग की थी। यह संतोष की बात है कि सरकार ने सरकार की किसी भी परियोजना में चीनी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का एहसास किया है। कैट ने सरकार की इस पहल को सभी प्रकार के बुनियादी ढाँचों, रेलवे, संचार, उच्च मार्ग, पुल और अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएं का बुनियादी आधार बनाने की माँग क़ी है । यह भी मांग की कि चीन की निर्माण मशीनरी एवं उसके स्पेयर पार्ट्स का काफ़ी मामलों की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाता है । कई मामलों में, ऐसी निर्माण कार्य करने वाली भारतीय कंपनियां चीनी मशीनों का उपयोग कर रही हैं जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों के साथ स्थापित की जाती हैं जो वास्तविक समय में स्थान सहित मशीन ऑपरेटिंग मापदंडों को किसी को भी सिस्टम के द्वारा भेज सकती हैं ।यदि ऐसी मशीनों का उपयोग सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर सीमावर्ती क्षेत्रों या किसी अन्य संवेदनशील क्षेत्र में किया जाता है जो रक्षा के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, तो मशीन सभी डेटा, जैसे कि उनके स्थान, परिचालन घंटे और अन्य रणनीतिक विवरण किसी को भी भेज सकती हैं । चीन में स्थित चीनी कंपनियों के मालिक के स्वामित्व वाले सर्वर पर यह जानकारी आराम से भेजी जा सकती हैं जो देश के लिए कभी भी ख़तरा हो सकती हैं , लिहाज़ा इन मशीनिंग के प्रयोग पर भी रोक लगनी जरूरी है ।