प्रदेश में पहली बार राज्य स्तरीय जायद उत्पादकता गोष्ठी-2021

झांसी/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में पहली बार राज्य स्तरीय जायद उत्पादकता गोष्ठी-2021 का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि यह एक अभिनव पहल है ताकि जायद की तैयारियों को लेकर एक समग्र चर्चा हो और यह सुनिश्चित हो कि कौन सी फसल लेना, जिससे हम किसानों की आय बढ़ा सकें। यह उचित समय है प्लान के अनुसार फसलों का चयन हो ताकि अच्छादन बढ़ाते हुए उत्पादन बढ़ाया जा सके।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि कृषि निजी क्षेत्र है। इसमें सरकार सुविधाएं देती है और योजनाओं को संचालित करते हुए किसानों को लाभ पहुंचाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनपदों में आयोजित होने वाली जायद गोष्ठियों का उद्देश्य मात्र शासन द्वारा आवंटित लक्ष्य की पूर्ति नहीं बल्कि इस बात पर जोर दिया जाए कि किसान की आय बढ़े और आय दुगनी हो। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि किसानों के पास फसल चयन का अभाव है उन्हें जागरूक करें, प्लानिंग के साथ ऐसी फसल का चयन करें, जिससे फसल का उचित दाम मिले। उन्होंने जनपदों में प्रगतिशील किसानों के अनुभव को भी साझा करते हुए अन्य किसानों को अधिक लाभ दिलाए जाने की बात कही और कहा कि ऐसे किसान जो जानकारी के अभाव में अपनी जमीन का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और ना ही आमदनी बढ़ा पा रहे हैं, इस समस्या दूर करना होगा।
एपीसी ने प्रदेश के मुख्य विकास अधिकारियों से कहा कि अपनी सोच का इस्तेमाल करें, किसान की आय दोगुनी करने के लिए निर्धारित लक्ष्य काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि पानी की उपलब्धता न होने से जायद फसल नहीं हो पा रही है तो सिंचाई के संसाधन बढ़ाएं। बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या अधिक है तो ड्रिप इरीगेशन /स्प्रिकंलर का उपयोग करते हुए कम पानी में अच्छी फसल लिए जाने की तैयारी करें। उन्होंने कहा कि पूरी क्षमता का सदुपयोग करते हुए किसान की आय को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पीएमकेएसवाई के अंतर्गत खेत तालाब योजना वरदान सिद्ध होगी इस योजना से जहां जीवनदायिनी सिंचन क्षमता का सृजन होगा, जल स्तर में भी सुधार आएगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने गोष्ठी में कृषि का एनुअल प्लान बनाए जाने का सुझाव दिया ताकि साल भर फसल चक्र अनुसार किसान जो फसल लें उसका अधिक लाभ उसे मिले सके। अधिक पानी लेने वाली फसलों का चयन ना किया जाए और ऐसी फसल लेने से भी बचें जिनकी मांग कम हो। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से क्षेत्र में लाभ देने वाली फसल और बीज की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराएं ताकि किसान अपनी फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सके।
उन्होंने बताया कि एफपीओ को गेहूं खरीद से जोड़ा जा रहा है बशर्ते एफपीओ के पास वर्किंग कैपिटल उपलब्ध हो। इसके अतिरिक्त एफपीओ फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 2020-21 में शासन द्वारा 66 लाख मैट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीद की गई। इस वित्तीय वर्ष में भी गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की जाएगी, इसलिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि गेहूं क्रय केंद्रों की संख्या जनपद में कम है तो जानकारी अवश्य दें ताकि अतिरिक्त केंद्रों को बढाया जा सके। जनपदों में गेहूं भंडारण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि जनपदों में वरासत प्रकरण शत प्रतिशत दर्ज किया जाना सुनिश्चित करें। मृतक किसान के स्थान पर परिवार के सदस्यों का नाम दर्ज हो ताकि पीएम सम्मान निधि का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने बताया कि जनपद में यदि सोलर पंप खराब होगा तो कंपनी ही ठीक करेगी, परंतु स्किल के द्वारा स्थानीय रोजगार उपलब्ध कराते हुए सोलर पंप ठीक कराए जाने की व्यवस्था की जा रही है।

मंडलायुक्त झांसी सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि जायद की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। खाद, बीज की उपलब्धता और विद्युत आपूर्ति की समस्या नहीं है।जायद का लक्ष्य 36379 हेक्टेयर है, जिसमें उर्द 80 हेक्टेयर, मूंग 574 हेक्टेयर, हरा चारा 280 हेक्टेयर, सब्जियां 35438 हेक्टेयर है। मंडल में केसीसी का लक्ष्य 90% पूर्ण कर लिया गया है तथा पीएम किसान सम्मान का डाटा 77% सुधार कर लिया गया है। प्रदेश में झांसी की स्थिति बेहतर और गेहूं खरीद की तैयारियां पूर्ण कर ली है, इस बार 146 गेहूं क्रय केंद्र संचालित होंगे। मंडलायुक्त ने कहा कि बुंदेलखंड की जलवायु एप्पल बेर के लिए उपयुक्त है अतः इसे बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है ताकि किसान इसकी खेती कर सकें। उन्होंने सोलर पंप का लक्ष्य बढ़ाए जाने का सुझाव देते हुए कहा कि सोलर पंप की स्थापना समय से की जाए तभी किसानों को लाभ मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि जनपद जालौन में किसानों को मोटिवेट किया जा रहा है ताकि वह मेंथा की खेती ना करें, मेंथा में पानी की अधिक आवश्यकता पड़ती है जिस कारण क्षेत्र में भूगर्भ जल में कमी आती है। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी श्री शैलेष कुमार, जेडीसी श्रीमती मिथिलेश सचान, संयुक्त कृषि निदेशक श्री एस एस चौहान सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहें।