– कोरोना महामारी के कारण लिया गया निर्णय

जम्मू-कश्मीर (संवाद सूत्र)। वर्तमान में भले ही वैश्विक कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर कम होना शुरू हो गया है, लेकिन तीसरी लहर की आशंका के चलते प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया है। यह पहला मौका है जब लगातार दूसरे वर्ष बाबा अमरनाथ यात्रा नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन ने बोर्ड के सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर व्यापक विमर्श कर सोमवार को अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया है। उप राज्यपाल ने ट्वीट कर यात्रा के रद्द होने की जानकारी देते हुए बताया कि बोर्ड के सदस्यों के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया है। यात्रा सिर्फ सांकेतिक होगी हालांकि पवित्र गुफा में सभी पारंपारिक धार्मिक पूजा अर्चना होगी। उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना बहुत जरूरी है इसलिए जनहित में यात्रा नहीं करवाने का फैसला लिया है। इससे पहले कोरोना संक्रमण कम होने पर अमरनाथ यात्रा को 28 जून से शुरू करने का फैसला दिया गया था, लेकिन पूरी तौर से स्थिति सामान्य न होने के कारण इसे रद्द करने का फैसला लिया गया है। यह यात्रा 56 दिन की थी जो रक्षाबंधन वाले दिन 22 अगस्त को संपन्न होनी थी।

बता दें कोरोना से उपजे हालात के कारण श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने पहले ही एडवांस पंजीकरण को बीच में बंद कर दिया था जो कि एक अप्रैल से शुरू हुआ था। यात्रा को लेकर पिछले काफी दिनों से असमंजस बना हुआ था उपराज्यपाल ने यात्रा के मुद्दे पर इससे पहले दिल्ली में अपनी दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय गृह सचिव से मुलाकात की थी। पिछले साल की तरह इस साल भी बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा से आरती का सीधा प्रसारण किया जाएगा।

गौरतलब है कि अनंतनाग जिले में स्थित अमरनाथ की यात्रा सबसे दुर्गम तीर्थ यात्राओं में से एक है। कश्मीर के बालटाल और पहलगाम से यह यात्रा शुरू होती है। अमरनाथ की गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यहां पहुंचने का रास्ता दुर्गम, चुनौतियों से भरा है। प्रतिकूल मौसम, लैंडस्लाइड, ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं के बावजूद लाखों शिव भक्त यहां पहुंचते हैं। शिवजी के इस तीर्थ का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां स्थित शिवलिंग पर लगातार बर्फ की बूंदें टपकती रहती हैं, जिससे 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग निर्मित होता है। गुफा में शिवलिंग के साथ ही श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी निर्मित होते हैं। इस बार शिव लिंग का आकार बड़ा है।