झांसी। जिस अंचल ने विश्व को वेद व्यास, वाल्मीकि, भवभूति, गोस्वामी तुलसीदास, केशवदास और ईसुरी जैसे साहित्य साधक दिए, जहां का आल्हा गायन और राई नृत्य विश्व भर में सराहा जाता है, ऐसे बुन्देलखण्ड की धरती को साहित्य की खान कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। ये उद्गार महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर के प्रो बहादुर सिंह परमार ने व्यक्त किए। वे बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के भारतीय भाषा, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बुन्देलखण्ड साहित्य शोध समिति तथा हिन्दी विभाग द्वारा जेड बुन्देलखण्ड का साहित्य, कला और संस्कृति ‘ विषय पर आयोजित दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस क्षेत्र के हिन्दी और बुन्देली साहित्य की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए इसकी प्रवृत्तियों को उद्घाटित किया।
इससे पूर्व ऑनलाइन दीप जलाकर मां सरस्वती की पूजा की गई। तत्पश्चात आए अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ पुनीत बिसारिया ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो शिव कुमार कटियार ने बुन्देलखण्ड की विविधता में एकता की संस्कृति, यहां के समृद्ध साहित्य तथा वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के अमर बलिदान को याद किया तथा इस आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा की। विशिष्ट अतिथि दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने बुन्देलखण्ड की पावन धरा पर जन्म लेने वाली आपका, विश्वारा, गार्गी जैसी वैदिक मंत्रों की दृष्टा ऋषिकाओं की चर्चा की और यहां जन्म लेने वाले अगस्त्य, दधीचि, च्यवन, छत्रसाल, आल्हा, ऊदल प्रभृति विभूतियों की चर्चा करते हुए यहां के समृद्ध सांस्कृतिक वैभव को उद्घाटित किया।
इसके पश्चात प्रथम तकनीकी सत्र में आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल के पूर्व सर्वेक्षण अधिकारी डॉ वसंत निर्गुणे ने बुन्देलखण्ड की चित्रकला विशेषकर राम कथा पर आधारित चित्रकला और चितेरी की चर्चा करते हुए चित्रकला की बारीकियों को विवेचित किया।
कार्यशाला में डॉ श्रीहरि त्रिपाठी और नवीन चंद पटेल ने अतिथियों के परिचय दिए। संचालन डॉ अनु सिंगला ने किया और डॉ अनुपम व्यास ने सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस कार्यशाला में देश विदेश के लगभग सात सौ से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिनमें अटक से कटक तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक, आस्ट्रेलिया से अमेरिका तक के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी, साहित्य प्रेमी और बुन्देलखण्ड में रुचि रखने वाले लोग भाग ले रहे हैं।
23 जुलाई को द्वितीय तकनीकी सत्र में सागर के डॉ. ओम प्रकाश चौबे, इन्दौर के डॉ. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, गाज़ियाबाद की डॉ ऋतु दुबे तिवारी तथा झांसी के डॉ. चित्रगुप्त श्रीवास्तव बुन्देलखण्ड की चित्रकला, मूर्ति कला, संस्कृति, इतिहास तथा पत्रकारिता की चर्चा करेंगे। डॉ वन्दना अवस्थी दुबे अपने शीघ्र प्रकाशित होने वाले उपन्यास हरदौल के विषय में प्राप्त नए तथ्यों पर बात करेंगी।
तत्पश्चात समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात फिल्मकार और बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के अध्यक्ष राजा बुन्देला होंगे, अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी प्रो. सुनील कुमार काबिया कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुनीत बिसारिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी है।