जन सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से हुआ खुलासा, कार्रवाई की दरकार
झांसी। जिला मुख्यालय पर कचहरी चौराहे के पास गांधी उद्यान में गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष न्याय की आशा में 15 दिन से भीषण गर्मी में त्रिपाल के नीचे बैठे किसानों ने सिंचाई विभाग पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। किसान नेता गौरी शंकर बिदुआ ने जन सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों को आधार बनाते हुए 2 भाग पर योजनाओं के नाम पर लाखों रुपए का बंदरबांट करने, सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने, अपात्रों को सुविधा शुल्क लेकर पात्र बनाने, पात्रों को दर-दर भटकने पर मजबूर करने के आरोप लगाए और प्रमाण प्रस्तुत किए।
किसान नेता व किसान संरक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर बिदुआ ने पत्रकारों को बताया कि सिंचाई विभाग किसानों का नहीं अपने हित के लिए योजनाएं बनाती है। बबीना माइनर जो बनाई जा रही है वह भी पैसे खाने का माध्यम है क्योंकि उत्तर प्रदेश- मध्य प्रदेश की बीच बेतवा के पानी का बंटवारा निर्धारित है जिसमें 24% उत्तर प्रदेश में 70% पानी मध्य प्रदेश को जाता है उत्तर प्रदेश को मिलने वाले 24% पानी से ही सारी नेहरें चलती हैं। इस बंटवारे में अन्य कोई संशोधन नहीं हुआ है इसके बाद भी बबीना माइनर बनाई जा रही है लेकिन विभाग यह बताने को तैयार नहीं है कि इसके लिए पानी आएगा कहां से?
उन्होंने बताया कि गुरसराय – 25 क्यूसेक पानी पारीछा पावर प्लांट को दे दिया गया बदले में पावर प्लांट द्वारा सिंचाई विभाग को जीएमसी गुरसराय मेन कैनाल की लाइन को पक्का कराने की लिए धन का आवंटन किया। 2 साल में ही पक्का निर्माण उखड़ गया किसानों को तो उसका लाभ नहीं मिला किसानों के हक का 25 क्यूसेक पानी जरूर चला गया किंतु अब तक कोई जांच नहीं की गई।
केन बेतवा की सर्वे में करोड़ों खर्च किए गए अभी भी सरकार धन कहानी का माध्यम केन बेतवा बनी हुई है जबकि सच्चाई यह है कि केन नदी बेतवा से 16 मीटर नीची है इसके बाद भी इसका पानी बेतवा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरा सच यह भी है की केन नदी सूखी रहती है, इसमें पानी ही नहीं है तो पानी लाएंगे कहां से? वहीं विभाग ढुरवार में डैम बना कर लिफ्ट से एक नदी का पानी दूसरी नदी में भेजने का तर्क दे रहा है जो कागजों में ही शोभा देगा हकीकत में संभव नहीं।
सिंचाई विभाग बेतवा प्रखंड द्वारा वर्ष 17 -18 में सिल्ट सफाई के नाम पर 2 करोड़ 79 लाख 19 हजार व 2018-19 में सिल्ट सफाई व रखरखाव पर 3 करोड़ 24 लाख 76 हजार रुपए खर्च किए। शासनादेश के अनुसार सिल्ट सफाई की ड्रोन द्वारा वीडियो व फोटोग्राफी होना अनिवार्य है लेकिन विभाग के पास कोई वीडियो व खर्चे के बिल वाउचर उपलब्ध नहीं है यह केवल एक खंड का मामला है अन्य खंडों में भी यही हाल है पर किसी को भी देखने की फुर्सत नहीं है।
उन्होंने बताया कि लखेरी बांध को भर दिया गया जबकि प्रभावित बुढाई गांव को अभी तक पूरी तरह से विस्थापित नहीं किया गया। गांव बाढ़ की चपेट में है परिवारों की अनुकंपा राशि सुविधा शुल्क लेकर अपात्रों को बांट दी पात्र विभागों की परिक्रमा कर रहे हैं। पथराई बांध के इमलिया गांव को स्थापित कर दिया उसी गांव के पाल मोहल्ले को विस्थापित नहीं किया गया। चढरऊ धवारी गांव के प्रभावित किसानों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन सभी का कसूर इतना है कि यह गरीब हैं, उनके पास सुविधा शुल्क देने के लिए पैसे नहीं है। किसानों ने कहा कि अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी तो वह भीख मांग कर सुविधा शुल्क के लिए धन एकत्रित करेंगे। इस अवसर पर मुदित चिरवारिया, देवी सिंह कुशवाहा, पवन तिवारी, धनोरा, सचिन मिश्रा, मुन्ना चौधरी, अमर सिंह, पप्पू पाल, मीरा आर्य सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।