झांसी। दीवान हरदौल शोध संस्थान के तत्वाधान में राजकीय संग्रहालय सभागार में दीवाल हरदौल की जयंति पर एक दिवसीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत कार्यवाह अनिल श्रीवास्तव ने कहा की लाला हरदौल बुंदेली लोक संस्कृति के महानायक हैं । लाला हरदौल ने बुंदेलखंड की सुरक्षा के लिए सदैव संघर्ष किया था। अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला ने कहा कि लाला हरदौल बुंदेली की पहचान है । बुंदेली लोक नृत्य लोक संगीत के लोक कलाकारों को उन्हीं से प्रेरणा मिलती है। मुख्य वक्ता के रूप में राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा की लाला हरदौल बुंदेलखंड की इतिहास के अभिन्न अंग है उन्होंने बुंदेलखंड की संस्कृति और यहां के समाज को एक नई नवीन दिशा दी है। विशिष्ट अतिथि व संरक्षक हरिओम पाठक ने कहा की लाला हरदौल अपने जीवन काल में ही बुंदेलखंड में लोकप्रिय हो गए थे आज भी कोई मांगलिक कार्य उनके बिना नहीं होते।

द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री एवं साहित्यविद डॉ रवींद्र शुक्ल ने कहा लाला हरदौल को मुगल शासक अपने रास्ते से हटाना चाहते थे इसीलिए उन्हें विषपान कराया गया। इतिहासकार डा चित्रगुप्त ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि लाला हरदौल को विषपान करवाना तत्कालीन राजनीतिक कुचक्र था। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता कर रहे डा पुनीत बिसारिया ने कहा कि लाला हरदौल बुंदेलखंड के संस्कृति के उन्नायक के रूप में जाना जाता है। विशिष्ट वक्ता सुखदेव ब्यास गुरसराय, संतोष पटेरिया महोबा, जगदीश तिवारी ओरछा, डा लखनलाल खरे शिवपुरी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एस के दुबे, सुरेन्द्र सक्सेना, डा सविता शुक्ला ने भी अपना व्याख्यान दिया । कार्यक्रम में आभार हरदौल शोध संस्थान के अध्यक्ष साकेत बिहारी द्विवेदी ने और अतिथियों का स्वागत सचिव डॉ राजीव द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर रामेश्वर गिरि, डा अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ मोहम्मद नईम, राजेश दांतरे इंदरगढ़ , डॉ निधि तिवारी ओंकार सिंह एरच, धर्मेन्द्र बक्शी धर्मेंद्र, पारसमणी अग्रवाल, मोहन नेपाली ,पन्नालाल असर, साकेत सुमन चतुर्वेदी, निहाल चंद्र शिवहरे, संतोष गुप्ता, राजकुमार सेन, रोहित सक्सेना, प्रशांत सक्सेना आदि मौजूद रहे। संचालन सुरेन्द्र सक्सेना ने किया।