नहरें हुई खत्म, वर्षों से नहीं आया पानी, सिल्ट सफाई प्रतिवर्ष – विदुआ
झांसी। सिंचाई विभाग ने बांध नहरों को सरकारी धन की लूट का माध्यम बना लिया है कई नहरों में वर्षों से पानी नहीं छोड़ा गया कई नहरों का अस्तित्व ही खत्म हो गया। बांध से निकलने वाली पक्की नहरों में प्रति वर्ष लाखों रुपए सिल्ट सफाई के नाम पर लूट लिए। सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार का यह आरोप प्रमाणित दस्तावेज दिखाते किसान नेता गौरी शंकर विदुआ व मुदित चिरवारिया ने लगाए।
गौरतलब है कि जिले के किसान अपनी समस्याओं को निस्तारित करने के लिए 1 माह से जिला मुख्यालय पर डेरा जमाए हुए हैं। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चौखट पर अपनी दास्तान सुना चुके हैं इसके बाद भी किसी के कानों पर जूं न रेगने पर किसान नेता गौरीशंकर विदुआ ने जन सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर अधिकारियों के द्वारा की जा रही सरकारी धन की लूट का पर्दाफाश करना प्रारंभ किया। इसमें वन, कृषि विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद सिंचाई विभाग की पोल खोली। उन्होंने बताया कि विभाग के अनुसार वरगांय माइनर, धनोरा माइनर, हीरा नगर माइनर, रियां माइनर आदि की सिल्ट सफाई पर प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च होते है। जन सूचना अधिकार अधिनियम के द्वारा प्राप्त दस्तावेजों में विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में लाखों रुपए खर्च होने का हिसाब दिया जबकि यह नहरें पिछले कई वर्षों से चली ही नहीं इनमें से कई नहरों का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया। वही गुरसराय मुख्य कैनाल बांध से निकलते ही पूरी नहर पक्की है बांध से साफ पानी उक्त नहरों में जाता है इसके बाद भी उक्त नहर में लाखों की सिल्ट सफाई दिखाई गई है
झांसी प्रखंड बेतवा नहर में वर्ष 2017-18 में संचालन मरम्मत एवं रखरखाव पर 82.59 लाख खर्च किए। इस वर्ष नेहरों की रखवाली के लिए 48.51 लाख रुपए की लेबर लगाई। इसके बाद भी नहर में कट हो गए उन कट बंधुओं को भरने के लिए 28 .91 लाख रुपए खर्च कर दिये । सिल्ट सफाई के नाम पर 89. 25 लाख खर्च किए। इसके बाद भी नहरों में मिट्टी के टीलों [ढेको] को हटाने के लिए 18.82 लाख अलग से खर्च कर दिए। सर्विस सड़क मरम्मत पर 3.92 लाख, बेड व वर्म स्क्रीमिंग पर 1.96 लाख वृक्षारोपण पर 1.70 लाख खर्च हुए। इन सभी कार्यों की फोटो व वीडियोग्राफी के लिए ड्रोन सर्वे पर 3.47 लाख खर्च कर दिए। लेकिन इन कार्यों की वीडियो फोटो व विल वाउचर देने के लिए विभाग तैयार नहीं है। इस वर्ष में 2 करोड़ 69 लाख 13 हजार रुपए खर्च होने के बाद नहरों की स्थिति वही है
पारीछा बांध के गेट खाते लाखों रुपए प्रति वर्ष
विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार पारीछा बांध की गेट की मरम्मत पर वर्ष 2017-18 में 9.55 लाख वर्ष 2018-19 में 7.79 लाख 2019-20 में 5.89 लाख खर्च हुए। इस बांध व गेटो की देखरेख के लिए वर्ष 2017-18 में 17.59 लाख 2018-19 में 15.93 लाख वर्ष 2019-20 में 4.56 लाख रुपए लेवर पर खर्च कर दिए।
सिंचाई निर्माण खंड – 5 ने भी रुपयों को किया खंड खंड
नहरों की सिल्ट सफाई की जानकारी जब सिंचाई विभाग निर्माण खंड 5 मांगी गई तो विस्तृत जानकारी व सबूत ना देकर मात्र 2020-21 में सिल्ट सफाई पर 3777571 रुपए खर्च बताया। पूर्ण जानकारी व ड्रोन वीडियो ना देने से प्रतीत होता है कि खंड 5 में धन कई खंडों मैं बंदरबांट हुआ होगा।
पैसे दो पैसे लो के आधार पर बांटी अनुकंपा राशि
पथराई बांध के इमलिया गांव में वर्ष 2015 में अनुकंपा राशि पैसे दो पैसे लो के आधार पर बांटी गई। जिसमें जिनकी जमीन मकान कुछ भी नहीं गया वह राशि पा गए जबकि जमीन मकान गवाने वाले पात्र आज भी विभागों के चक्कर काट रहे हैं अनुकंपा राशि पाने वाले अपात्रों की जांच के लिए जन सूचना अधिकार से उनके दस्तावेज मांगे गए तो विभाग ने बदले में 1700 रुपए जमा करा लिए लेकिन पोल खुलने के डर से 6 माह बाद भी दस्तावेज नहीं दिए।

इस दौरान किसान जगदीश सिंह राजपूत शिरोमण सिंह राजपूत रामजी सिंह जादौन पवन तिवारी रोहित यादव अमर सिंह पप्पू पाल राजाबेटी पुख्खन पार्वती आदि किसान मौजूद रहे।