लखनऊ समेत अन्य शहरों में भी कराई जा रही पड़ताल

झांसी। आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव के खिलाफ जारी  विजिलेंस जांच का दायरा लखनऊ से बढ़ गया है। पूर्व विधायक की विभिन्न स्थानों पर स्थित कुल 43 अचल संपत्तियों का ब्योरा विजिलेंस खंगाल रही है। इसके तहत नगर निगम, तहसील, जेडीए समेत ब्लॉकों से पूर्व विधायक से संबंधित कागजात निकलवाए गए हैं ताकि सम्पत्तियों का पता लगा कर कार्रवाई की जा सके। यह काम विजिलेंस इकाई को जल्द से पूरा करने के मूड में है।

दरअसल, गरौठा से विधायक रहे दीपनारायण सिंह यादव के खिलाफ वर्ष 2006 से 2016 के बीच खनन के जरिए अवैध संपत्ति जुुटाने के आरोप लगे थे। इस मामले की शिकायत के बाद अप्रैल 2021 में शासन की संस्तुति पर पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान ने जांच शुरू कराई। करीब चार महीने तक इसकी पड़ताल सुस्त पड़ी रही। अब इस माह से अचानक विजिलेंस जांच में तेजी आ गई है। विजिलेंस टीम झांसी समेत आसपास के जिलों में पूर्व विधायक की संपत्ति का ब्योरा खंगालने में जुटी है। विजीलेंस के रडार पर पूर्व विधायक की लखनऊ व झांसी सहित उप्र व मप्र में लगभग 43 बड़ी संपत्तियां हैं। झांसी में ही पूर्व विधायक की 27 संपत्तियां जांच के दायरे में बताई जा रही हैं।

जांच के दायरे में पूर्व विधायक के फ्यूचर टैंक हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड, बीडी बिल्डर एसोसिएट, मोना कंस्ट्रक्शन ग्रेनाइट, एसआर रेजीडेंसी प्राइवेट लिमिटेड, मून सिटी स्केप बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड, रामदेवी प्राइवेट लिमिटेड, रामादेवी एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट जरहा खुर्द मोंठ, डीएसएस रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड जरहा खुर्द, टीकाराम यादव स्मृति महाविद्यालय मोंठ, टीकाराम विधि महाविद्यालय मोंठ, डॉ. राममनोहर लोहिया आईटीआई कॉलेज जरहा खुर्द, रामादेवी इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, डीएनए प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स मां पीतांबरा प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य अचल संपत्तियां शामिल की गई हैं। इनके अलावा विजिलेंस टीम नगर निगम, तहसील, जेडीए एवं ब्लॉक स्तर से अन्य जमीनों के कागजात एवं पूर्व विधायक की ओर से किए गए लेन-देन के रिकार्ड भी तलाश रही है। बैंकों से हुए लेनदेन की भी पड़ताल हो रही है।

पूर्व विधायक दीपनारायण की संपत्तियों की जांच झांसी के अलावा लखनऊ, ललितपुर, बांदा, टीकमगढ़ समेत आधा दर्जन विभिन्न शहरों में एक साथ चल रही है। पूर्व विधायक पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2006 से 2016 के बीच खनन से अवैध संपत्ति जुटाई। इसके पैसोें को इन शहरों में अचल संपत्ति जुटाने में निवेश किया गया।