मण्डलायुक्त ने किया कमिश्नरी कायार्लय का औचक निरीक्षण, 6 कर्मचारी गैरहाजिर मिले

झांसीमण्डलायुक्त कायार्लय समय प्रातः 9.30 बजे

रोज की तरह मण्डलायुक्त अजय शंकर पाण्डेय अपने कायार्लय पहुंचते हैं। कमरे में पहुंचकर फाईल निपटाते हैं।

समय प्रातः 10.15 बजे
मण्डलायुक्त अपने वैयक्तिक सहायक को निदेर्श देते हैं कि कमिश्नरी कायार्लय के कमर्चारियों की उपस्थिति पंजिका मंगवाकर उनकी टेबल पर रख दी जाय।
समय प्रातः 10.20 बजे
उपस्थिति पंजिका मण्डलायुक्त की टेबल पर आ जाती है। मण्डलायुक्त के निजी सहायक 6 कमर्चारियों के अनुपस्थित होने की सूचना बताते हैं, जिनमें रघुराज सिंह जादौन, धमेर्न्द्र कोष्ठा, दिलीप अहिरवार, चंदा विश्वकर्मा,  धनलाल एवं राजकुमार शामिल हैं।
मण्डलायुक्त के स्तर से अनुपस्थित कमर्चारियों के नाम के आगे अनुपस्थित लिखे जाने की प्रतीक्षा की जाती है। अमूमन होता यही है कि जब भी कोई वरिष्ठ अधिकारी कहीं औचक निरीक्षण करता है तो अनुपस्थित कमर्चारियों के नाम के आगे Absent लिख दिया जाता है और अनुपस्थिति के कारण स्पष्ट करने हेतु स्पष्टीकरण का पत्र जारी करने का निर्देश दे दिया जाता है, परन्तु आज जो कुछ इसके आगे हुआ वह सब लीक से हटकर था एवं कर्मचारियों के लिये एक विशेष प्रकार से गांधीवादी तरीके से सबक सिखाने वाला था।
समय प्रात 10.25 बजे
मण्डलायुक्त ने यह निदेर्श दिये कि अनुपस्थित कमर्चारी यदि कायार्लय आ गये हैं या जैसे-जैसे आते जा रहे हैं, उन्हें मेरे कायार्लय कक्ष में उपस्थिति पंजिका पर मेरे समक्ष हस्ताक्षर करने के लिये भेजा जाय।
समय प्रात 10.30-10.40 बजे
कमिश्नरी कायार्लय के एक-एक करके विलम्ब से आने वाले कमर्चारी मण्डलायुक्त के कक्ष में प्रवेश करते हैं। मण्डलायुक्त किसी से कुछ नहीं कहते केवल रजिस्टर उनके सामने रख देते हैं, उन्हें हस्ताक्षर करने की अनुमति देते हैं और हस्ताक्षर का समय अंकित करने का आदेश/परामर्श नहीं देते बल्कि अनुरोध करते हैं। मण्डलायुक्त का यह अनुरोध कमर्चारियों को पानी-पानी कर देने वाला साबित हुआ। कईयों ने बिना मण्डलायुक्त से पूंछे यह प्रश्न किया और विलम्ब का कारण बताना शुरू कर दिया। मण्डलायुक्त ने उन्हें टोकते हुये कहा कि मैं तो सिर्फ आपसे हस्ताक्षर के साथ समय अंकित करने का अनुरोध कर रहा हॅू। अभी मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिये।
सबको हस्ताक्षर कराने के बाद मण्डलायुक्त ने उन्हें अपने कक्ष में बैठाया और उनके लिये चाय मंगवाई। सभी ने एक स्वर में चाय न पीने का अनुरोध किया परन्तु मण्डलायुक्त ने उनको प्रेमपूवर्क कक्ष में बैठाकर अपने सामने चाय पिलाई और साथ में स्वयं भी चाय पी।
विलम्ब से कायार्लय आने पर मण्डलायुक्त द्वारा पिलाई गई चाय भले ही मीठी थी परन्तु जिस गलती का एहसास करते हुये एवं पश्चाताप में डूबे हुये कर्मचारी चाय को पी रहे थे उसका स्वाद उन्हें कड़वा ही लगा। प्रेमपूवर्क चाय पिलाने के बाद मण्डलायुक्त ने सभी से कहा कि भविष्य में भी यदि आप चाय पीने का अवसर लेना चाहें तो आपका हमारे कायार्लय कक्ष में स्वागत है।
मण्डलायुक्त के इस स्टेण्डिंग चाय पार्टी के आॅफर से देर से आने वाले कमर्चारियों के साथ-साथ पूरे कमिश्नरी कायार्लय के कर्मचारियों ने तौबा कर ली। मण्डलायुक्त का अपनी गलती को एहसास कराने का यह तरीका पूरे कमिश्नरी कायार्लय में चर्चा का विषय बना रहा।
अन्त में अनुपस्थित कमर्चारियों ने मण्डलायुक्त के इस प्रेरणादायक प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये भविष्य में समय पर कायार्लय आने का संकल्प भी लिया।