– सरकारी कार्यालयों, वकीलों के बस्तों पर गंदगी का अंबार, शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं

झांसी। जिले में डेंगू की रोकथाम हेतु भले ही प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु बेअसर साबित हो रहे हैं। हालात कितने बदतर हो गए हैं कि जिन सरकारी कार्यालयों से डेंगू की रोकथाम हेतु दिशा निर्देश जारी होते हैं वहीं डेंगू ने पांव पसार लिए हैं। चिराग तले ही अंधेरा वाली कहावत कलेक्ट्रेट से लेकर विकास भवन तक में लागू हो रही है। यहां डेंगू का लार्वा मिलने से दहशत है। लोगों कहना है कि जब अफसर ही अपने यहां पानी का जमाव होने से नहीं रोक पा रहे हैं तो फिर जनता इनकी क्या सुनेगी?
गौरतलब है कि जिले में कलक्ट्रेट परिसर में डीएम से लेकर प्रशासन के बड़े अफसरों के ऑफिस हैं। यहां पर रोजाना सैकड़ों लोगों का आवागमन रहता है। शनिवार को सिटी मजिस्ट्रेट से एसडीएम कोर्ट जाने वाले रास्ते में जलजमाव होने के कारण मच्छरों की भरमार दिखने से डेंगू का लार्वा पनपने की आशंका को देखते हुए मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लार्वी साइट का छिड़काव किया। इसके अलावा विकास भवन में भी भूतल पर रखी टंकी में डेंगू का लार्वा पनपता हुआ मिला। ये हाल जिले के दो बड़े प्रशासनिक कार्यालयों का है।

कलक्ट्रेट परिसर व वकीलों के बस्तों में गंदगी का भी अंबार है। शिकायतों के बावजूद लंबे समय से यहां पर साफ-सफाई नहीं की गई है। अधिवक्ताओं के मुताबिक यहां पर सफाई लंबे समय से नहीं हुई है। इसके अलावा सीवर लाइन के टैंक को ढकने के लिए बनाया गया सीमेंट का ढक्कन भी टूटा गया है। इससे दुर्गंध आती रहती है। नगर निगम को भी सफाई के लिए पत्र लिखा जा चुका है। इसके अलावा कई कार्यालयों के बाहर पान-मसाले के पीक से दीवारें रंगी हुई हैं। ये हाल तब है, जब जिले का सबसे बड़े अफसर यहां बैठते हैं। वहीं, नगर निगम और विकास भवन में भी पान की पीक से दीवारें बदरंग हो गई हैं।

हाल ही में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में एंटोमोलॉजिकल सर्विलांस रिपोर्ट में ढाई हजार घरों में डेंगू का लार्वा मिला है। चूंकि, एक मच्छर पांच घरों तक रोग को फैला सकता है, ऐसे में इसकी जद में साढ़े बारह हजार घर हैं। इसलिए लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। डेंगू, मलेरिया की रोकथाम के लिए अफसर फॉगिंग, लार्वी साइट आदि का छिड़काव कराने का दावा कर रहे हैं। मगर हकीकत के इतर यह कागज़  है, डेंगू बहुत तेज रफ्तार से फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में तो वही मरीज दर्ज हो रहे हैं, जो सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। निजी अस्पताल में डेंगू मरीजों की भरमार है। ज्यादातर नर्सिंगहोम अपने यहां भर्ती मरीजों के सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजते ही नहीं हैं।