– 45 हजार करोड़ की परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की हरी झंडी

– 10.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई तो 62 लाख लोगों को मिलेगा पेयजल

नई दिल्ली (संवाद सूत्र)। विवादों के कारण करीब डेढ़ दशक से लंबित केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के वित्तपोषण और कार्यान्वयन की मंजूरी आखिरकार बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दे दी गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड में घर-घर पानी और खेत-खेत पानी पहुंचाने वाली बहुप्रतीक्षित इस महत्वाकांक्षी परियोजना से 103 मेगावाट पन बिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (केबीएलपीए) नामक विशेष प्रयोजन संस्था का गठन भी किया जाएगा। परियोजना से मप्र के छतरपुर, पन्ना व टीकमगढ़ और उप्र के बांदा, महोबा, हमीरपुर और झांसी समेत अन्य जिलों के प्राय: सूखाग्रस्त और पानी की कमी वाले जिलों में कुल 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई की सुविधा मिलेगी। दोनों राज्यों के इन जिलों के कुल 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए इन्हें नहरों से जोड़ा जाएगा।
इस परियोजना से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैले बुंदेलखंड की सूखी धरती में पानी समाने से भूजल का स्तर भी ऊपर आ जाएगा। इससे मध्य प्रदेश में छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी जिलों को पानी मिलेगा, वहीं यूपी के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी। परियोजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी में पानी भेजा जाएगा।

केन-बेतवा लिंक परियोजना कुल लागत 44,605 करोड़ रुपए का अनुमान है, जो वर्ष 2020-21 के मूल्यों के आधार पर है। ठाकुर ने बताया कि यह परियोजना देश में अन्य नदियों को जोड़ने की प्रस्तावित परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी। परियोजना के तहत केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जाएगा। यह समझौता अटल बिहारी वाजपेयी के उस विजन को क्रियान्वित करने के अंतर-राज्यीय सहयोग का सूत्रपात है, जिस विजन के तहत नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का विचार है, जहां प्रायः सूखा पड़ता है और जिन इलाकों में पानी की भारी कमी है।हालांकि राज्यों के बीच सहमति बनाने में लंबा समय लगा। अंतत: 22 मार्च 2021 को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत की पहल से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।