– कला जीवन की समग्रता को प्रस्तुत करने का सबसे अच्छा माध्यम: डॉ. मुन्ना तिवारी

झांसी। कला एक ओर जहाँ अभिव्यक्ति का एक बहुत ही सशक्त माध्यम है वहीँ दूसरी ओर जीवन की गति का भी माध्यम है। अपने गुरुओं के लिए इससे अच्छी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती है। जैसे कि एक कला प्रदर्शनी का नाम ही अर्पण है। यही भारतीय संस्कृति और सभ्यता है.” यह विचार राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मुन्ना तिवारी ने ललित कला संस्थान के शिक्षक दिलीप कुमार की तीन दिवसीय एकल कला प्रदर्शनी के समापन अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में व्यक्त किए। डॉ. तिवारी ने कहा कि शिक्षक कर धर्म दुनिया में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण धर्म होता है। हम जीवन में कुछ भी बन जाएँ लेकिन एक शिक्षक के सिखाए हुए मार्ग पर चलते हुए ही उच्चतम स्तर को छु सकते हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अथिति डॉ. श्वेता पाण्डेय ने अपने पढाई के दिनों को याद करते हुए कहा कि प्रो. मनोज ऊपर से दिखने में जितने कठोर नजर आते थे अन्दर से अपने विद्यार्थियों के लिए उतने ही सहज थे। उन्होंने कहा कि इस कला प्रदर्शनी के द्वारा प्रो. मनोज सिंह और डॉ. सी. पी. पैन्यूली को दी गयी श्रद्धांजलि बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित ललित कला संस्थान की समन्वयक डॉ. सुनीता ने इस आयोजन के लिए दिलीप कुमार को बधाई दी और आगे भी ऐसे आयोजन करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रदर्शनी के संयोजक दिलीप कुमार ने बताया कि भारतीयता हमारी संस्कृति और सभ्यता है। शिक्षकों को हम बिना कुछ दिए ही बहुत ही सहज ही हासिल कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि इस कला प्रदर्शनी में लगभग 60 चित्रों को प्रदर्शित किया गया था जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। इस कार्यक्रम में विशाल प्रताप, ऋषभ साहू, सपना श्रीवास, उद्देय, लीलाधर, पायल, प्रतीक्षा, रेणुका, हेमा साहू, आकांक्षा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शाश्वत ने व आभार अजय गुप्ता ने व्यक्त किया।