झांसी। अभिजात भारतीय संगीत परंपरा मे पुरे विश्व मे लोकप्रिय वाद्य है तबला| इस वाद्य को पुरे विश्व में पहुंचाया हमारे पुर्वजों, गुरुओ ने | साथ संगत और सोलो वादन का दर्जा इस वाद्य को मिला| प्राचीन समय मे गुरु शिष्य परंपरा से यह कला सिखाई जाती है|आज भी यह परंपरा कायम है| गुरु के सामने बैठके तालीम लेना और रियाज करना इसको पर्याय नहीं| परंतु समय के साथ तंत्रज्ञान मे बदल गया वैसे सीखने का और सिखाने का तरीका बदल गया| आज आप विश्व के किसी भी कोने से घर बैठे ऑनलाइन विधि से तबला वादन कला सिख सकते है| यह जानकारी sahujagran.com को प्रसिद्ध तबला वादक अविनाश पाटील ने दी है।
युवा पीढ़ी के प्रसिद्ध तबला वादक अविनाश पाटील पिछले अनेक वर्ष से ऑनलाईन विधि से तबला शिक्षा देने का काम कर रहे है| भारत के विविध राज्यों के साथ अमरिका, कॅनडा, लंडन, जर्मनी, अबुधाबी, दुबई, नायजेरिया, ऑस्ट्रेलिया इन देशो से अनेक विद्यार्थी ऑनलाइन तबला वादन कला सिख रहे है और इस कला का आनंद ले रहे है| अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडळ मिरज द्वारा जगत के किसी भी कोनेसे विद्यार्थियों को तबला कि परिक्षा देणे कि सुविधा उपलब्ध करायी गई है| इस कारण तबला वादन कला सिखना और परीक्षा देना सुलभ हुआ है|अविनाश पाटील जी पं. प्रमोद पाटील और दिल्ली घराणे के प्रसिद्ध तबला वादक पं. उमेश मोघे जी के शिष्य है|उन्होंने गांधर्व महाविद्याल कि संगीत अलंकार यह पदवी प्रथम श्रेणी में तथा पुणे विश्वविद्यालय कि एम. ए. तबला यह डिग्री प्रथम श्रेणी और स्वर्ण पदक के साथ प्राप्त की है| पद्मभूषण पंडित राजन साजन मिश्रा जैसे अनेक दिग्गज कलाकारों के साथ साथ संगत दिया है| सवाई गंधर्व महोत्सव के साथ देश के अनेक महोत्सव मे अपनी प्रस्तुती दी है| भारत के सभी प्रमुख शहरों के साथ दुबई, अबुधाबी, नेदरलँड्स, जर्मनी, पोलंड, डेन्मार्क, स्वित्झर्लंड, स्कॉटलंड लंडन इन जगह पर अपने बहारदार तबला सोलो वादन करके पूरे जगत के श्रोतागन कि दाद हासिल की है। अधिक जाणकारी हेतु 8698503701यह नंबर पर संपर्क करे|