– बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में सात दिवसीय शोध कार्यशाला का समापन

झांसी। अच्छे शोध के लिए धैर्य रखना जरूरी है। शोध ऐसा हो जो किसी ने सोचा ना हो। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश कुमार पाण्डेय ने गांधी सभागार में आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला ‘अनुसंधान पद्धति एवं सॉफ्ट स्किल्स’ के समापन सत्र में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि निश्चित ही इस कार्यशाला से शोधार्थियों को शोध कार्य करने में सहायता मिलेगी। भारत को अगर शोध एवं उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है तो इसमें नए स्टार्टअप  की बड़ी भूमिका होगी। नए स्टार्टअप अच्छे  शोध की नींव पर  ही खड़े हो सकते हैं।

मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ लेखक, चिंतक एवं साहित्यकार लक्ष्मी नारायण भाला ने कहा कि शोधकर्ताओं को बिना संकोच के अपनी बात कहनी चाहिए। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत के संविधान में चित्रांकन और रेखांकन’ का जिक्र करते हुए संविधान के प्रमुख बिंदुओं को भी छात्रों के समक्ष रखा। श्री भाला जी ने संविधान में दिए गए चित्रो एव॔ उनकी यथा स्थान वर्णन के कारणो पर शोधपरक विस्तृत जीवंत व्याखया प्रस्तुत की।चाणक्य वार्ता पाक्षिक पत्रिका के संपादक डॉ अमित जैन ने कहा कि अलमारी में सजाकर रखने वाले शोध से काम नहीं चलेगा। शोध ऐसा हो जो समाज के काम आए।

इसके पूर्व शोध सेल के समन्वयक प्रो. अवनीश कुमार ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं परिचय दिया। उन्होंने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि सात दिवसीय कार्यशाला के अंतर्गत 300 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया।  सभी तकनीकी सत्रों का संचालन ऑनलाइन तथा ऑफलाइन माध्यम के द्वारा किया गया। साथ ही 30 से अधिक ख्याति प्राप्त  विद्वानों के साथ विचार विमर्श करने का शोध छात्रों को अवसर मिला। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण अतिथि द्वारा किया गया। शोध सेल के निदेशक प्रो. एसपी सिंह ने अपने समापन वक्तव्य मे शोध को समाज के लिए उपयोगी बनाने पर जोर दिया। डा रिषी सक्सेना ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन डॉ ईरा तिवारी ने किया।

इस कार्यक्रम में सहायक कुलसचिव संतोष कुमार सिंह, शोध सेल प्रभारी डॉ संदीप सिंह, एनएसएस समन्वयक डॉ मुन्ना तिवारी, डॉ रामजी स्वर्णकार, डॉ सुनील त्रिवेदी, डॉ शंभू नाथ सिंह, डॉ सोनम सेठ,डाॅ सुरभि मुखर्जी के साथ बड़ी संख्या में पीएचडी शोधार्थि और छात्र उपस्थित रहे।