– तैयार है बुन्देली व्यंजनों का पिटारा !
झांसी। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी जहाँ सांस्कृतिक एवं भाषायी पहचान होती है, वहीं व्यंजनों में भी इसकी विविधतायें उपलब्ध रहती है। बुन्देलखण्ड भी इससे अछूता नहीं है। मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने बुन्देलखण्ड की कला, संस्कृति, इतिहास व साहित्य इत्यादि के संरक्षण, सम्बर्द्धन के अभियान के साथ ही साथ बुन्देली व्यंजनों को खोज निकालने का अभियान शुरू किया, इसके लिये बुन्देली व्यंजन समिति का गठन किया गया है जिसमें मुकुन्द मेहरोत्रा अध्यक्ष, डॉ० नीति शास्त्री, पवित्र खन्ना, अरूण सिंह, अनिल कुमार मिश्रा इत्यादि समिति के पदाधिकारी है।

मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय के निर्देशन में इस समिति ने झाँसी मण्डल के गाँव-गाँव को खंगा कर बुन्देली व्यंजनों के तमाम विविधताओं को खोज निकाला। मण्डलायुक्त की पहल जहाँ व्यंजन खोज तक ही सीमित नहीं रहीं बल्कि इसके मानकीकरण का भी कार्य किया है। इस मानिकीकरण के लिये आयुर्वेद, होम्योपैथ और ऐलोपैथ के विशेषज्ञ चिकित्सकों से इन व्यंजनों के चिकित्सीय गुणों के लिये अध्ययन कराया गया। हर व्यंजन के साथ इसकी क्या पौष्टिक विशिष्टता है, यह विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा प्रमाणित किया गया है :बुन्देली व्यंजनों को लुप्त होने से बचाने व इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिय होगें यह कार्य

* अब होटल, ढावा रेस्टोरेन्ट में परोसे जायेगें बुन्देली व्यंजन
* सरकारी सरकिट हाउस, गेस्ट हाउस में भी माननीयों को मिलेंगे बुन्देली व्यंजन
* बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में नई पीढ़ी को बुन्देली व्यंजन बनाने का मिलेगा प्रशिक्षण |
* बेबसाइट पर उपलब्ध होगी बुन्देली रेरपीबुक ।

यही नहीं व्यंजनों के साथ बनाने की विधियाँ भी विस्तार से इस बुन्देली पिटारे में लिखी गयी है। कौन-सा व्यंजन वर्ष के किस मौसम में उपयोगी होते हैं, किरा गौराग के साथ इसका क्या तालमेल होता है, इत्यादि का भी उल्लेख इस पिटारे में है। कुल मिलाकर 75 बुन्देली व्यंजन चिन्हित करके बुन्देली पिटारे में शामिल किये गये हैं जिसे रेस्पी बुक के रूप में प्रकाशित कराया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष श्री मुकुन्द मेहरोत्रा द्वारा बताया गया कि 75 व्यंजनों में से निम्न व्यंजनों को समयानुसार प्रयोग किया जा सकता है :

“यह है बुन्देली व्यंजन”
सुबह नाश्ते में ज्वार / कोदो महेरी, मंगौड़ी इत्यादि।

दोहपर लंच के समय में बेसन मूँग बरी, पालक पत्ता,भाजी, चन्ना पत्ता, भुर्रा, रोटी, गकरियों, मैदा पूरी, बरा बूरा, कचरियों, जोगिया भात, बेसन की कतली इत्यादि।

सायं के नाश्ते के समय मंगोड़ी, कुरकुरी जलेबी, बाजरा सुकूपूरी, गेहूँ, सिंघाडा लप्सी, कैथे की चटनी इत्यादि।

रात्रि भोजन के समय में निमोना, हरियाली मटौनी,बफौरी रस खीर हिंगोरा, दाल भजिया चाने की भाजी, फरा, मीडा इत्यादि।

मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने व्यंजनों का जो पिटारा तैयार किया है, उसे बेबसाईट पर भी अपलोड किया जायेगा। साथ ही झाँसी के सभी होटलों व ढावों में भी बुन्देली व्यंजनों को अनिवार्य डिस के रूप में उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ ही सरकारी डाक बंगलों में भी माननीयों एवं उच्चाधिकारियों को बुन्देली व्यंजन उपलब्ध कराये जायेगें। ऐसी भी योजना है कि नई पीढ़ी को बुन्देली व्यंजनों को जोड़े रखने और उराकी पाक कला में निपुण बनाने के लिये बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में बुन्देली व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा।