झांसी। उमरे के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन भले ही जंक्शन है पर जिस तरह से यहां यात्रियों की सुविधाओं में कटौती की जा रही है उससे आश्चर्य होता है। जरूरी सुविधाओं के लिए यात्री विशेष रूप से महिलाएं इधर उधर भटकते हुए रेल प्रशासन की (अ) व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं।

हम बात कर रहे स्टेशन के सामने यात्री शेड/आरक्षण केन्द्र के निकट महिला / पुरुष यात्रियों की सुविधा हेतु लाखों रुपए खर्च कर बने “प्रसाधन केन्द्र” की। बति दें कि इस केन्द्र का संचालन/ सफाई व्यवस्था आदि का जिम्मा रेल प्रशासन के पास है। हालत यह है कि नियमित देखरेख व साफ सफाई के अभाव में प्रसाधन केन्द्र अव्यवस्था का शिकार हो गया। शौचालयों के पाट उबल ग्ए, यूरिनल पाट गंदगी से भर गये पर सही तरीके से साफ सफाई नहीं की गई नतीजतन समस्या गहराती चली गई।

कई बार सोशल मीडिया द्वारा इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया। इसके कारण कभी कभी साफ सफाई की गई फिर उसके बाद पुरुष व महिला प्रसाधन केन्द्र में ताले लगा दिए गए। “न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी” की कहावत को चरितार्थ करते रेल प्रशासन के इस उपाय ने यात्रियों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। हालत यह है कि यात्री प्रसाधन हेतु इधर उधर भागते दौड़ते लोगों के उपहास का पात्र बनते हैं। साहू जागरण डॉट कॉम को यात्रियों ने बताया कि शोपीस बने इस प्रसाधन केन्द्र को यदि रेल प्रशासन नहीं देखरेख कर सकता तो प्राइवेट हाथों में सौंप दे। इससे रेलवे को कमाई भी हो जाएगी और यात्रियों को सुविधा मिल जाएगी। इस ओर मंडल रेल प्रबंधक का ध्यान आकर्षित किया गया है। देखना है कि समस्या का समाधान होता है कि नहीं। इस समस्या पर स्टेशन सलाहकार समिति के सदस्यों की चुप्पी भी रहस्यमय है।