यूजीसी एचआरडीसी जेएनवीयू जोधपुर एवं बीयू  झांसी ने आयोजित किया नई शिक्षा नीति पर वेबीनार
झांसी। शिक्षा पर पड़ी 139 सालों की धूल को हटाने में कुछ समय लगेगा लेकिन निश्चित ही नई शिक्षा नीति ऐसे आचार्य और छात्रों का निर्माण करेगी जो भारतीय संस्कृति को पुनः वैश्विक जगत में दीप्तिमान करेगी। उक्त विचार प्रोफेसर मनोज दीक्षित, पूर्व कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या ने व्यक्त किये। वह मुख्य अतिथि के रूप में वे यूजीसी एचआरडीसी जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 “क्रेडिट मोबिलिटी एंड एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट” पर आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।       उन्होंने कहा कि शिक्षा में व्याप्त जड़ता को क्रेडिट प्रणाली के माध्यम से समाप्त किया जा सकता। इससे छात्रों की मोबिलिटी बढ़ेगी। छात्रों के लिए मल्टी एंट्री और मल्टी एक्जिस्ट प्रक्रिया से शिक्षा और लाभप्रद बनेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को संरचनात्मक एवं मानसिक रूप से तैयार करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में आदेश जारी कर कहा है कि प्रत्येक कमिश्नरी में एक विश्वविद्यालय खोला जाएगा। यह विश्वविद्यालय मल्टी डिस्प्लनरी एजुकेशन के साथ अपनी विशेषज्ञताओं के लिए पहचाने जाएंगे। उन्होंने माना कि क्रियान्वयन में परेशानियां या गतिरोध है। लेकिन सभी के समन्वय से नई शिक्षा नीति अपने वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करने में निश्चित ही सफल होगी।  वेबीनार की अध्यक्षता कर रहे है बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ कोलैबोरेशन को बढ़ावा दिया गया है। इससे शोधार्थियों को निश्चित ही लाभ मिलेगा। क्रेडिट ट्रांसफर तकनीक से छात्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोबिलाइज हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम जल्दी ही एक डिजिटल यूनिवर्सिटी की तरफ बढ़ रहे हैं। आने वाला समय वर्चुअल प्लेटफार्म का है। ऐसे में कई पाठ्यक्रम वर्चुअल प्लेटफार्म के अंतर्गत तैयार किए जा रहे हैं।
इसके पूर्व यूजीसी एचआरडीसी के निदेशक प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे ने बताया कि वेबीनार हेतु 600 प्रतिभागियों ने पंजीयन किया है जो लगभग देश के 15 प्रदेशों से हैं। उन्होंने यूजीसी एचआरडीसी द्वारा किए जा रहे हैं कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान की। स्वागत उद्बोधन में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय टीचर्स रि-स्किलिंग सेल की डायरेक्टर प्रोफेसर पूनम पुरी ने कहा की एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें छात्रों के अंक को एक करेंसी के रूप में माना जाता है। यह अंक आधारित करेंसी किसी भी शिक्षण संस्थान में मान्य होगी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अवनीश कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। यूजीसी एचआरडीसी जोधपुर की सह निदेशिका डॉ निधि सनदाल ने संस्थान की कार्यप्रणाली से सभी को अवगत कराया। संचालन डॉ कौशल त्रिपाठी, पत्रकारिता के भाग एवं डॉ राजेश पांडे, वनस्पति विभाग बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। अतिथियों का परिचय पत्रकारिता के छात्र प्रियांशु शंखवार ने प्रस्तुत किया। वेबीनार में देश भर से लगभग 600 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।