नई दिल्ली। भारतीय रेलवे द्वारा दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस को पुराने स्वरूप में लौटाने की तैयारी की जा रही है। कचरा होती जा रही दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस की सफाई की तैयारी की जा रही है। दिल्ली भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस रास्ते के 3 छोटे स्टेशनों पर नहीं रुकेगी। इससे भोपाल के यात्रियों का समय बचेगा।

गौरतलब है कि दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस कुछ विशेष प्रकार के रेल यात्रियों के लिए शुरू की गई थी। विशेष रुप से केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारी जिन्हें दिल्ली से भोपाल या भोपाल से दिल्ली दौरे पर जाना हो। केंद्र व राज्य सरकार के जन प्रतिनिधि और इनके अलावा ऐसे यात्री जो अपना समय बचाना चाहते हैं। इसीलिए शताब्दी एक्सप्रेस एक चेयर कार है। शताब्दी एक्सप्रेस में उन पर्यटकों का भी ध्यान रखा गया है जो दिल्ली से आगरा, मथुरा, ग्वालियर एवं झांसी की यात्रा करते हैं।

कुछ समय पहले रेलवे द्वारा पैसा कमाने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस को अन्य सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों के जैसा बना दिया गया। यात्रियों का अतिथि सत्कार और भोजन की क्वालिटी में कमी की गई। ट्रेन के इंटीरियर को ठीक नहीं किया गया। यहां तक की कुर्सियों के कवर की नियमित रूप से धुलाई भी नहीं की गई। पैसा कमाने के लिए धौलपुर, मुरैना और ललितपुर जैसे स्टेशन पर शताब्दी एक्सप्रेस का स्टॉपेज बना दिया गया।

सूत्रों की मानें तो उपरोक्त तीनों स्टॉपेज बंद किए जा रहे हैं, क्योंकि रेलवे का कैलकुलेशन फेल हो गया है। एक स्टॉपेज पर ₹25000 प्रतिदिन का खर्च हो रहा है और इन तीनों स्टेशन पर प्रतिदिन यात्रियों की औसत संख्या 20 से कम है। इस लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं।