झांसी में सेंट्रल बैंक में 2.13 करोड़ का घपला, शाखा प्रबंधक सहित चार बैंक कर्मी निलंबित 

झांसी। जनपद में सेंट्रल बैंक की चिरगांव शाखा में 2.13 करोड़ के घपला का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बैंक की आंतरिक जांच में इसकी पुष्टि होने पर बैंक प्रबंधक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन शाखा प्रबंधक प्रशांत खरे समेत चार बैंक कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इन सभी पर सांठगांठ करके डेड खातों से यह रकम निकालकर अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर करने और पूरी रकम को शेयर मार्केट में लगाने का आरोप है।

दरअसल, सेंट्रल बैंक की चिरगांव शाखा में डेड खातों में करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आने पर जांच पड़ताल की गई। बैंक की आंतरिक जांच रिपोर्ट में सामने आया कि शाखा में तैनात बैंक कर्मचारियों ने बैंक के पुराने खातों में पड़ी रकम को फर्जी इंट्री करके निकाल लिया। यहां तैनात एक बैंक कर्मचारी ने पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया। इसके बाद व्हिसल ब्लोअर देवेंद्र प्रकाश मिश्र की शिकायत पर मुंबई मुख्यालय ने विशेष आंतरिक जांच शुरू कराई।

करीब डेढ़ महीने तक विशेष शाखा ने इस पूरे मामले की जांच कर बैंक के एक-एक खाते और उसमें जमा-निकासी के विवरण खंगाले गए। पड़ताल में बैंक के लेजर में कुल करीब 2.13 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली है। विशेष शाखा ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी। इसके बाद तत्कालीन शाखा प्रबंधक प्रशांत खरे, सहायक प्रबंधक मिलाप चंद्र वर्मा, हेड कैशियर घनश्याम एवं सहायक कैशियर काशीराम प्रजापति को निलंबित कर दिया गया है। इन सभी के खिलाफ बैंक प्रबंधन ने जांच भी शुरू कराई है। बताया गया है कि इन कर्मचारियों से रिकवरी भी कराई जा रही है। कुछ रकम की रिकवरी की जा चुकी।

पुलिस का कारनामा : थाने से घपले की तहरीर ही गायब कर दी 

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की चिरगांव शाखा में सामने आए करोड़ों के घोटाले मामले में बैंक प्रबंधन ने पिछले माह एफआईआर दर्ज कराने को तहरीर दी थी लेकिन, करीब एक माह बीत जाने के बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। उल्टे, पुलिस अब तहरीर के मिलने से ही इंकार कर रही है। दरअसल, इस घपले को अंदर ही अंदर बैंक प्रबंधन द्वारा निपटाने का प्रयास किया जा रहा था, किंतु मीडिया में मामला उजागर होने पर मजबूरन बैंक प्रबंधन को एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू करनी पड़ी। क्षेत्रीय प्रबंधक संदीपन दास गुप्ता के अनुसार उन्होंने अगस्त माह में ही तत्कालीन थाना प्रभारी प्रज्ञा पाठक के कार्यकाल में बाकायदा लिखित तहरीर दी। इसकी ऑनलाइन सूचना भी दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस ने मामला अभी तक दर्ज नहीं किया। उधर, अब थाने में इस तहरीर के होने से ही इंकार किया जा रहा है। शनिवार को जब मुकदमा दर्ज किए जाने के बारे में पूछा गया तब पुलिस ने तहरीर के होने से ही इंकार कर दिया। उधर, बैंक अफसरों का कहना है उनके पास तहरीर दिए जाने के साक्ष्य हैं। इस मामले में क्षेत्रीय प्रबंधक संदीपन दास पुलिस अफसरों से मुलाकात कर थाने द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा की शिकायत करेंगे।