कथाकार को कथा बुनना आना चाहिए: महेश कटारे

झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी/कार्यशाला में कथा रचना प्रक्रिया पर ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जोधपुर विश्वविद्यालय के जनसंचार संस्थान के आचार्य ,अध्यक्ष, कवि कथाकार रिपोर्ताज के लेखक प्रो सत्य नारायण ने प्रतिभा व अभ्यास को रचना प्रक्रिया का आधार बताया। उन्होंने बताया कि निरंतर अभ्यास से रचना प्रक्रिया के संतुलन में आसानी होती है इसके लिए उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सोदाहरण प्रस्तुति दी।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि कथादेश के संपादक कथाकार हरिनारायण ने रचना और रचनाकार के बीच के तादात्म्य में कला की उच्चता की निर्भरता बताई । संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे ने कहा की कला के तीन क्षणों में रचना प्रक्रिया के सभी स्तर निहित है । कटारे ने मुक्तिबोध को याद करते हुए कहा की कला का पहला क्षण है जीवन का तीव्र उत्कट अनुभव। दूसरा क्षण है इस अनुभव का अपने कसकते-दुखते हुए मूलों से पृथक हो जाना और एक ऐसी फैंटेसी का रूप धारण कर लेना मानो वह फैंटेसी अपनी आंखों के सामने ही खड़ी हो । तीसरा क्षण कला के निर्माण का क्षण है । उन्होंने आगे बताया कि नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए । संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन नवीन चंद पटेल ने तथा बीज वक्तव्य डॉ श्रीहरि त्रिपाठी ने किया ।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत बीयू के अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो मुन्ना तिवारी द्वारा किया गया। आभार प्रो पुनीत बिसारिया ने किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ अचला पांडे ने किया।