झांसी। शुक्रवार की देर रात एरच के डेरा घाट पर अवैध बालू खनन की सूचना पर पहुंची पुलिस को देखकर वहां मौजूद तीन मजदूरों ने नदी में छलांग लगा दी थी। इनमें से दो तो अगले दिन सुबह अपने गांव पहुंच गए थे, लेकिन तीसरे का सोमवार सुबह तक कोई सुराग नहीं लगा है। नदी में लगातार उसकी तलाश की जा रही है।
दरअसल, प्रशासन व पुलिस को एरच के डेरा घाट पर बालू के अवैध खनन की लगातार सूचनाएं मिली रहीं थीं। इस पर शुक्रवार की देर रात उप जिलाधिकारी क्षितिज द्विवेदी ने थाना पुलिस के साथ घाट पर छापा मारा। पुलिस को आता देख वहां मशीनों पर काम कर रहे लोगों में भगदड़ मच गई। पुलिस से बचने के लिए जलालपुर निवासी राकेश, ओमप्रकाश व जालौन के थाना आटा के ग्राम कुरैना निवासी राजबहादुर (60) ने बेतवा नदी में छलांग लगा दी। इनमें से राकेश और ओमप्रकाश तैरकर नदी से बाहर आ गए थे, लेकिन पकड़े जाने से बचने के लिए वे दोनों नदी किनारे झाड़ियों में छुपे रहे और सुबह अपने गांव पहुंचे, किंतु राजबहादुर का कोई पता नहीं चल पाया। शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक मछुआरों व गोताखोरों की मदद से उसकी नदी में खोजबीन की जाती रही। लेकिन, सभी के हाथ खाली रहे। रविवार को भी दिन भर वो सोमवार सुबह नदी का पानी खंगाला जाता रहा, परंतु राजबहादुर का सुराग नहीं लग पाया। घाट के इर्दगिर्द दिन भर पुलिस डेरा डाले हुए है।
लापता राजबहादुर के परिजनों ने पुलिस-प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उसकी गंभीरता से तलाश नहीं की जा रही है, जिससे उनका कोई पता नहीं चल पाया है।
आसपास के गांवों में भी तलाश
लापता मजदूर राजबहादुर की नदी के अलावा आसपास के गांवों कनेछा, ढेरी, जागेश्वर सहित अन्य गांवों में पुलिस और ग्रामीणों द्वारा तलाश की जा रही है, परंतु कोई पता नहीं चल पाया। पहले संभावना जताई जा रही थी कि अन्य दो मजदूरों की तरह वह भी तैरकर गांव पहुंच गया होगा, लेकिन दो दिन बाद भी सभी के हाथ मायूसी ही लगी।
राजबहादुर के जीवित रहने की टूट रही आस
लापता राजबहादुर के परिवार के लोग भी जालौन से एरच के डेरा घाट पर पहुंच गए। भाई रामअवतार और रामखिलावन के साथ उसका पुत्र बृजकुमार भी घाट के पास ही डेरा डाले हुए है। उन्हें अनहोनी की आशंका सता रही है। वहीं, राजबहादुर के घर पर जालौन में भी लोगों का जमावड़ा बना हुआ है। बता दें कि राजबहादुर के दो पुत्र और एक पुत्री है। सभी की शादी हो चुकी है।