बुंदेलखंड विवि के 27वें दीक्षांत समारोह में 95 को पीएचडी उपाधि और 77 मेधावियों को पदक व 70577 विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित 
झांसी। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने जहां विद्यार्थियों को अत्याधुनिक तकनीक और उद्योगों की मांग के अनुरूप कुशल बनाने पर जोर दिया वहीं बच्चों के गर्भ के समय ही माताओं को सही संस्कार देने के लिए गर्भ संस्कार पाठ्यक्रम विकसित करने का सुझाव देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में सभी बच्चियों को यह पाठ्यक्रम पढ़ाया जाए। इसमें गर्भवती महिलाओं को खानपान समेत अन्य जानकारी देनी चाहिए। क्योंकि, गर्भ से ही बच्चे को संस्कार मिलने लगते हैं। संस्कारी बच्चे में कुविचार नहीं आता है।
उक्त विचार उन्होंने मंगलवार को बुविवि के गांधी सभागार में आयोजित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य को नमन करते हुए कहा कि मेडल प्राप्त करना गौरव की बात। मेडल मिले न मिले जीवन को आदर्श बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। हम सभी को एक आदर्श भारतीय बनकर जीवन को चमकाना है। उन्होंने कार्यक्रम में आए लोगों का आह्वान किया कि वे दीक्षांत समारोह का जिक्र दूसरों से भी करें। आंगनवाड़ी और झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों के विकास पर भी उन्होंने बल दिया।
 उन्होंने स्वास्थ्य कुंडली ऐप का जिक्र कर बधाई दी व बुंदेलखंड की कला प्रदर्शनी की भी सराहना की। उन्होंने मिलेट की टोकरी अतिथियों को दिए जाने की भी सराहना की। उन्होंने देश के सामने रखे विषयों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। आंगनवाड़ी की कार्यकर्ताओं को मिलेट को आहार में शामिल करने पर बल दिया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को पीएम के मन की बात को कार्यक्रम को लगातार सुनाने पर बल दिया। मध्य प्रदेश की एक महिला का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे वे मिलेट की विविध किस्मों को प्रचारित कर रही हैं।
उन्होंने झांसी के डिफेंस कारिडोर में संभावित उद्योगों में बनने वाले उपकरणों को देखते हुए विद्यार्थियों को समुचित प्रशिक्षण दिए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से विद्यार्थियों के कौशल को बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने पुणे के एक संस्थान का उदाहरण देकर समझाया कि कैसे क्षेत्र की कला और संस्कृति का विस्तार कर सकते हैं। असम में बाल विवाह के प्रचलन के चलते बाल मृत्यु दर अधिक होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बाल विवाह पर रोक लगना चाहिए। हमें अपने बेटे या बेटियों को जागरूक करना चाहिए। दहेज बंद करने के लिए भी अभियान चलाया जाना चाहिए। आंगनवाड़ी केन्द्रों को विश्वविद्यालयों के माध्यम से जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाने का भी जिक्र किया। खेल खेल में बच्चों को शिक्षा मिलती है। उन्होंने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने पर बल दिया। केजीएमसी लखनऊ को ए ग्रेड मिलने पर बधाई दी।
 कार्यक्रम में राज्यपाल/कुलाधिपति व अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और कलश को जल से भरकर समारोह का शुभारंभ किया। कुलाधिपति ने योग केंद्र का लोकार्पण व महिला छात्रावास का शिलान्यास भी किया। कुलपति ने कुलाधिपति और सभी अतिथियों का स्वागत शाल, श्रीफल और मोटे अनाज से निर्मित खाद्य पदार्थों की टोकरी भेंटकर किया। समारोह में बुविवि की दीक्षांत स्मारिका, चितेरी, संचारिका, उन्नत भारत एक नजर में आदि पत्रिकाओं का भी विमोचन किया गया। कुछ किताबों का भी विमोचन किया गया।
 समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रो दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि स्थानीय छात्र छात्राओं को समाज की विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए सक्षम बनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्यादा से ज्यादा पेटेंट लेने की कोशिश करें। हमें भलाई के लिए परिवर्तन को अपनाने, उत्कृष्टता और नवाचार की मांग पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को स्थानीय क्षेत्रों में स्थायी परिवर्तन लाने, स्थानीय चुनौतियों के वैश्विक समाधानों पर ज्ञान और अत्याधुनिक अनुसंधान के माध्यम से सक्रिय रूप योगदान देकर क्षेत्र के विकास में भागीदार बनने में अपनी भूमिका निभानी होगी।
विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि दयनीय स्थिति में पड़ी उच्च शिक्षा व्यवस्था को कुलाधिपति के मार्गर्दर्शन में नया आयाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली व्यक्ति वही बनता है जिसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है। उपाध्याय ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् हमारा आदर्श है। जड़ से भी हमने सीखा है। चेतन से तो सीखते ही हैं। उन्होंने कहा कि लोकल समस्याओं से जुड़िए। शिक्षक, विद्यार्थी समाज की समस्याओं से जुड़ें। आप सभी जरूरी शोध कर समस्याओं का निराकरण करें। आप केवल डिग्रीधारक नहीं समाज के विकास में योगदान देने वाला बनिए।
 विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि भारत का विकास सभी युवाओं की बौद्धिक क्षमता पर निर्भर है। आप सभी यहां से शिक्षित होकर जा रहे हैं आगे देश का नाम ऊंचा करें यही शुभकामना। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि आप सभी समाज के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के संकल्प के साथ काम करें।
कुलपति प्रो मुकेश कुमार पाण्डेय ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने बताया कि आज के समारोह में 95 को शोध उपाधि, 77 छात्र, छात्राओं को पदक प्रदान किए गए। 77 पदकों में से 45 पदक छात्राओं ने हासिल किए हैं। साथ ही समारोह में 70577 विद्यार्थियों को विविध उपाधियां प्रदान की गईं। समारोह में कुलाधिपति ने कुछ प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को बैग भी वितरित किए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण किट वितरित किए गए। समारोह में आए अतिथियों को कुलपति ने स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
समारोह का संचालन डा अचला पाण्डेय और डा. इरा‌ तिवारी ने किया। दीक्षांत शोभायात्रा में अतिथियों के साथ प्रो एसपी सिंह, प्रो डीके भट्ट, प्रो मुन्ना तिवारी, प्रो एम एम सिंह, प्रो आरके सैनी, वित्त नियंत्रक वसी मोहम्मद, कुलसचिव वीके सिंह समेत अनेक विद्वतजन शामिल रहे।
  इस समारोह में राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा, पूर्व मंत्री रवीन्द्र शुक्ल, एम एल सी रमा निरंजन, नवनिर्वाचित शिक्षक एम एल सी डा. बाबूलाल तिवारी, विधायक जवाहर लाल राजपूत, जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेश एस0, डा. नीति शास्त्री, बीकेडी के प्राचार्य डा. एसके राय, प्रो पुनीत बिसारिया, डा कौशल त्रिपाठी, डा मुहम्मद नईम, उमेश शुक्ल समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।