झांसी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा सन 2001 में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत बुनियादी शिक्षा को मजबूत और सभी को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई। इस योजना में 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को सम्मिलित करते हुए सभी के लिए शिक्षा और सब पढ़े सब बढ़े का नारा दिया गया। 86 वें संविधान संशोधन के द्वारा प्राथमिक शिक्षा को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की श्रेणी में रखा गया है जो एक मौलिक अधिकार भी है। सन् 1990 में प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए एमडीएम की योजना की शुरुआत की गई थी।
उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा कि वर्तमान में सत्र 2022-23 की यूपी के परिषदीय विद्यालयों की परीक्षा चल रही है, जिसमे दो करोड़ के करीब छात्र एवं छात्राएं (लगभग एक करोड़ 92 लाख से अधिक) सम्मिलित हो रहे हैं। यह संख्या उत्तर प्रदेश के किसी भी बोर्ड, संस्था में सर्वाधिक बड़ी संख्या है। 20 मार्च से शुरू होने वाली यह परीक्षा 24 मार्च तक चलेगी, यह परीक्षा प्रतिदिन दो शिफ्ट में आयोजित हो रही है, प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालय को 30 मार्च को अपना रिजल्ट जारी करना होगा जो एक चुनौती भी है, क्योंकि इतने अल्प समय में किसी भी संस्था द्वारा रिजल्ट नहीं जारी किया गया है, जारी परीक्षा फल के उपरांत 01 अप्रैल से नवीन सत्र की शुरुआत स्कूल चलो अभियान और नवीन नामांकन के साथ सभी परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश प्रारंभ की जायेगी। सुलोचना मौर्य ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के समस्त जनपदों की प्रत्येक ग्राम सभा में एक प्राथमिक और एक जूनियर हाई स्कूल को स्थापित किया गया हैं जहां पर उस ग्राम सभा के सभी छात्र-छात्राओं का नामांकन निःशुल्क किया जाता है। आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत ने केवल अपनी जरूरत के आधार पर ही शिक्षा को पूर्ण करा रहे थे, उस समय अंग्रेजों ने जिस तरह रेलवे लाइन का जाल बिछाया उस तरह से शिक्षा को बेहतर करने के बारे में कभी भी नहीं सोचा। प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के हमारी सरकारों के द्वारा समय-समय पर योजनाएं चलाई गई, मध्यान्ह भोजन योजना, ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड, सर्व शिक्षा अभियान, सब पढ़े सब बढ़े एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम के द्वारा शिक्षा में अभूतपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। प्राथमिक शिक्षा में केंद्र और राज्य सरकार 60ः40 के अनुपात से व्यय करते है जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों में 90ः10 का व्यय होता है। उन्होंने कहा कि आजादी के समय देश की कुल साक्षरता दर सिर्फ 12 प्रतिशत थी जो वर्तमान में बढ़कर अब 65 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। शिक्षा ही है जो लोकतंत्र को मजबूत और शक्तिशाली बनाता है।