झांसी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज़फ़ीर अहमद की अदालत में भतीजे की हत्या का दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त चाचा को सश्रम आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
जिला शासकीय अधिवक्ता मृदुल कान्त श्रीवास्तव व सहायक शासकीय अधिवक्ता रवि प्रकाश गोस्वामी के अनुसार केशवपुर निवासी पूरन राजपूत पुत्र स्व० निर्भय राजपूत ने थाना सीपरी बाजार में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पांच पुत्र थे, जिनमें एक पुत्र मोहर सिंह का देहान्त हो चुका है, शेष चार पुत्र अजब सिंह, राजकुमार सिंह, मुकेश राजपूत व नीरज राजपूत गांव में रहते हैं। इनमें राजकुमार जुआ व शराब की लत पड़ जाने के कारण बिगड़ गया है। इसने जुआ में हार कर लाखों रूपये का कर्ज ले लिया है। मेरे पास लगभग १० एकड़ जमीन थी, जिसमें से १ एकड़ राजकुमार ने अपने कर्ज के कारण बिकवा दी है और लगातार अन्य जमीन बेचने के लिये दबाव बनाता रहता है। मेरा पुत्र मुकेश जमीन बेचने का विरोध करता है, इसलिये राजकुमार कई बार यह धमकी दे चुका है कि मैं मुकेश को या उसके पुत्र अंशुल को मार दूंगा।राजकुमार पिछले लगभग एक वर्ष से गांव में बहुत कम रहता है। कभी-कभी आता-जाता है। राजकुमार गांव में आया था। मेरे पुत्र मुकेश राजपूत का पुत्र अंशुल उम्र लगभग ८ वर्ष लगभग दोपहर को खेलते खेलते १३ अक्टूबर २०१९ को अचानक कहीं गुम हो गया, जिसे सभी परिवार वाले ढूड़ते रहे किन्तु उसका कहीं पता नहीं चला। शक होने पर मेरे नाती दीपेन्द्र राजपूत व गांव के तुलसी राजपूत पुत्र नन्दराम ने राजकुमार की पत्नी से घर का ताला खुलवा कर तलाशी ली तो कमरे में रखे बड़े संदूक में अंशुल का शव एक रजाई के नीचे मिला जिसके मुंह पर नारंगी रंग का कपड़ा बंधा था तथा एक गमछे से उसके हाथ बंधे थे, मैने बच्चे को रात के लगभग १०बजे बक्से से बाहर निकलवा कर सभी लोगों को सूचना दी। मैने लगभग २ बजे दिन में राजकुमार को अपने घर से निकलकर बहुत तेज कदमों से बदहवास हालत में भोजला मण्डी की तरफ जाते हुये देखा था। मेरे पुत्र मुकेश राजपूत ने भी राजकुमार को बहुत तेज कदमों से घबराये हुये भोजला मण्डी के तरफ जाते देखा है, हम लोगों को पूर्ण विश्वास है कि मेरे पुत्र राजकुमार ने ही अंशुल की हत्या की है।

उक्त तहरीर के आधार पर धारा ३०२, २०१ भा०द०सं० के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था। विवेचना के दौरान एकत्रित साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त राजकुमार सिंह के विरूद्ध आरोप पत्र धारा ३०२, २०१ भा०द०सं० के अन्तर्गत न्यायालय में विचारण हेतु प्रेषित किया गया। जहां प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर न्यायालय द्वारा दोषी अभियुक्त राजकुमार सिंह को धारा ३०२ भा.द.स के अपराध में सश्रम आजीवन कारावास एवं पचास हजार रूपये अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर दो वर्ष के अतिरिक्त कारावास ,धारा २०१ भा.द.स. में ७वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर ०६ माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई गई।