न्यायालय ने सात महीने में सुनवाई कर दोष सिद्ध अभियुक्त को सजा से किया दंडित 

झांसी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश जफीर अहमद की अदालत में एक साल की मासूम बेटी की हत्या का दोष सिद्ध होने पर पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने घटना के सात माह के भीतर सजा का एलान कर दिया।

शासकीय अधिवक्ता मृदुलकांत श्रीवास्तव व रविप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि उल्दन निवासी महिला संपत ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि दो सितंबर 2022 की सुबह वह अपनी एक साल की बेटी सरस्वती के साथ सो रही थी तभी सुबह लगभग छह बजे उसका पति खेमचंद्र सोकर जागा और उससे शराब पीने के लिए पैसे मांगने लगा। महिला ने बताया कि पैसे देने से मना करने पर वह उसके साथ मारपीट करने लगा। इसी बीच उसने बेटी सरस्वती को छीन लिया और गुस्से में पास में ही अवध बिहारी राय के कुएं में बेटी को फेंक दिया और भाग निकला।

बेटी को जेठ जगदीश ढीमर और गांव के अन्य लोगों की मदद से कुएं से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। शनिवार को अदालत ने अभियुक्त खेमचंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा बीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया, जिसकी अदायगी न करने पर दो साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

इस मामले में उल्लेखनीय यह रहाकि न्यायालय ने 37 दिन में पूरा किया मुकदमे का ट्रायल। जिला एवं सत्र न्यायालय में इस मुकदमे की पहली गवाही एक मार्च 2023 को मृतक मासूम सरस्वती की मां संपत की हुई थी। इसके बाद न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई रोजाना जारी रखी। इस दौरान छह गवाह अभियुक्त की पत्नी सरस्वती, भाई जगदीश, पड़ोसी भगवानदास कोरी, एफआईआर लेखक उप निरीक्षक रामपाल सिंह, मासूम का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक डा. रविंद्र गुप्ता व विवेचक रामकन चौधरी के बयान दर्ज किए गए। 29 मार्च को मुकदमे में बहस हुई, जबकि सात अप्रैल को न्यायालय ने सजा का एलान कर दिया। न्यायालय ने 37 दिनों में मुकदमे का ट्रायल पूरा कर लिया।