झांसी। जिले के पूंछ थाना क्षेत्र में बरोदा गांव में शुक्रवार को त्रियोदशी भोज में खाना खाकर बीमार हुए लोगों का हालचाल जानने आखिरकार बुधवार को जनप्रतिनिधि मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इनमें सदर विधायक रवि शर्मा व एम एल सी रमा आरपी निरंजन के अलावा झांसी जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम, गरौठा विधायक के पुत्र राहुल राजपूत प्रमुख रहे।

सदर विधायक रवि शर्मा व एम एल सी रमा आरपी निरंजन, जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम ने समर्थकों के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंच कर चिकित्सकों के साथ यहां भर्ती 17 मरीजों का हालचाल जाना। मरीजों से बात करने के बाद विधायक ने कहा कि कार्यक्रम में खाना खाने के बाद बीमार हुए जिन लोगों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है उनमें से कुछ को अब भी पेट संबंधी परेशानियां हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है और जल्द ही सभी को डिस्चार्ज कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए मरीजों में से अभी तक 70 प्रतिशत मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है साथ ही उम्मीद जतायी कि जिन मरीजों की हालत में अभी पूरी तरह सुधार नहीं हुआ है उन्हें भी जल्द ही पूरी तरह से स्वास्थ्य लाभ कराकर घर भेज दिया जायेगा। सदर विधायक ने कहा कि त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों की गतिविधियां मांग बढ़ने के कारण तेज हो जाती है हालांकि प्रशासन लगातार निगरानी करता है और खाद्य सामग्री की सेंपलिंग भी जारी रहती है। इस मामले में भी खाद्य सामग्री के सैंपल ले लिए गये हैं। जल्द ही नतीजे सामने आयेंगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

श्री शर्मा ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश चुनाव कार्यक्रम की वजह से झांसी से बाहर होने के कारण उन्हें घटना की जानकारी नहीं हुई। आज झांसी आकर उन्हें समाचार पत्रों और चैनलों के माध्यम से घटना के बारे में जानकारी मिली तो वह सबसे पहले मरीजों का हालचाल जानने पहुंचे ।उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा।

गौरतलब है कि गांव बरोदा में त्रियोदशी का खाना खाने के बाद बड़ी संख्या में लोग बीमार हो गये थे। गांव के पूर्व प्रधान रतन सिह राजपूत के पिता के त्रियोदशी कार्यक्रम में हुई इस दुखद घटना के बाद रतन सिंह ने भी मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इस भोज में खाना खाने से एक हजार लोगों की हालत बिगड़ गई थी। इन मरीजों को मोंठ, समथर, चिरगांव के स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा मेडिकल कॉलेज में भी भर्ती कराया गया। गांव-गांव में कोहराम मचा हुआ था। प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में लगातार डेरा डाले रहीं। बावजूद इसके सत्ता पक्ष व विपक्ष के किसी भी नेता ने मरीजों की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी थी। इससे गांव के लोगों में काफी आक्रोश था। मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों और उनके कई तीमारदार नेताओं को खरी-खरी सुनाने से नहीं चूके तों नेता सफाई देते नजर आए।