– हवन, पूजन उपरांत किये साधु संतों के दर्शन, शास्त्रीय संगीत से सजी शाम, धूमधाम से मनाया मंहत छबीलेदास जू का गद्दी विराजमान महोत्सव

झांसी। ग्वालियर रोड स्थित कुंजबिहारी मंदिर पर कार्तिक मास पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को प्रात: से ही श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लग गयी। भोर की पौ फटते ही जैसे-जैसे भगवान भास्कर ने आसमान से जमीन पर अपनी किरणें बिखेरी कि ठीक उसी गति से श्रद्धालु भी मंदिर परिसर में एकत्रित होते गये। थोड़े ही देर में भारी संख्या में श्रद्धालु भक्तजन कुंजबिहारी मंदिर में एकत्रित हो गये। मौका था गुरुदेव भगवान के दर्शनों का। इस मौके का हर कोई अलभ्य लाभ लेना चाहता था।
बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज अपनी 41 दिवसीय एकांत साधना पूर्ण कर साधना कक्ष से सोमवार को बाहर निकले। साधना कक्ष से महंत के बाहर आते ही श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा करते हुए आत्मीय स्वागत कर गुरुदेव के दर्शन किये।
साधना कक्ष से आते ही महंत राधामोहन दास ने अखण्ड ब्रह्माण्ड नायक भगवान कुंजबिहारी जू एवं उनकी प्राण प्रियतमा राधारानी जू की महाआरती उतारी। इस अवसर पर मंदिर में विविध धार्मिक आयोजनों के साथ मंगल गीत गाये गये।

सायंकालीन वेला में कुंजबिहारी मंदिर के पांचवे महंत स्वामी छबीलेदास जू महाराज का गद्दी विराजमान उत्सव समाज गायन कर मनाया गया। बुंदेलखण्ड के ख्याति लब्ध कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की धुन पर मधुर भजन प्रस्तुत कर देर रात्रि तक भगवत रस की वर्षा की। मंदिर में विराजमान सभी विग्रह मूतियों का अभिषेक उपरांत मनमोहक श्रृंगार किया गया। प्रातः होते ही
महंत राधामोहन दास के पावन सानिध्य में विद्धान आचार्यों द्वारा वेदमंत्रों के बीच हवन किया गया जिसमें विश्व कल्याण की भावना से श्रद्धालुओं ने हवन कुंड में आहुतियां दी, तदुपरांत महाराज श्री ने साधु-संत एवं ब्रजमंडल से विप्रजनों का दर्शन पूजन बंदन एवं भंडारा उपरांत उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया गया।

उल्लेखनीय है कि कुंजबिहारी आश्रम की परम्परानुसार वर्ष 2013 से महंत राधामोहनदास प्रतिवर्ष 41 दिवसीय एकांत साधना करते आ रहे हैं। इससे पूर्व ब्रह्मलीन महंत बिहारीदास महाराज ने लगातार पिछले 50 वर्षों तक प्रतिदिन 41 दिवसीय एकांत साधना की थी। किंतु जब से उक्त गद्दी पर महंत राधामोहनदास महाराज आसीन हुए तब से गुरु जी की आज्ञानुसार 2013 से वे अनवरत प्रतिवर्ष 41 दिवस की एकांत साधना कर परम्परा का निर्वाहन कर रहे हैं। इस मौके पर मनमोहन दास, बालकदास एवं पवनदास महाराज ने सभी व्यवस्थायें संभाली।