– कारखाना प्रबन्धक को दिया ज्ञापन
झांसी। उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के द्वारा आज बैगन मरम्मत कारखाना उत्तर मध्य रेल झांसी के कारखाना गेट पर द्वार सभा कर महामंत्री जेपीएस चौहान के निर्देशन एवं केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अम्बिका प्रसाद श्रीवास्तव के नेतृत्व में एवं एनएमओपीएस के समर्थन में जुलूस कारखाना में निकाल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित ज्ञापन मुख्य कारखाना प्रबंधक को दिया गया।
जुलूस के दौरान हेमंत कुमार विश्वकर्मा सहायक महामंत्री यूएमआरकेएस ने कहा कि सतत संघर्ष के कारण कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने एवं राष्ट्रहित में पूरा जीवन आहूत कर देने के प्रतिफ लस्वरुप पेंशन योजना 16 नवंबर 1964 से लागू की गई थी और इसका उत्तरदायित्व भारत सरकार को दिया गया और सीसीए पेंशन नियमावली 1972 बनाई गई बाद में अंशदायी भविष्य निधि से पेंशन योजना पर जाते हुए सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना 1995 लागू की। एक सरकार आती है 01 अप्रैल 2004 के बाद नियुक्ति कर्मचारियों को एनपीएस के अधीन कर देती है परिणाम यह हुआ कि सेवानिवृत्त के पश्चात उनकी सामाजिक सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग गया। उसके 45 दिन बाद दूसरी सरकार आती है और 10 वर्ष कुंडली मारे हुए वर्ष 2013 में एक पीएफआरडीए नाम का बिल संसद से पास करवाकर इस नियम को मजबूती देने का कार्य करती है जिसमें दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशन के नेता ट्रस्टी/सहयोगी की भूमिका में रहते हुए इस बिल का विरोध में नहीं करते हैं। बाद में रेल कर्मचारी अपने साथ हुई धोखेबाजी का विरोध करते हैं तब घडि़य़ाली आंसू बहा कर कर्मचारी हितैषी बनने का ढोंग करते हैं। अन्य वक्ताओं ने कहा है कि हम मानता प्रापत संगठनों के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं यहां हम कर्मचारियों को स्वयं अपने अधिकारों के लिए लडऩा पड़ेगा।
यूएमआरकेएस, बीआरएमएस, बीएमएस, एनएमओपीएस के आंदोलनों के दबाव के चलते एनपीएस में सुधार के लिए सरकार को बाध्य होना पड़ा। चाहे मृत्यु उपरांत उसके विधवा/आश्रित को पुरानी पेंशन योजना हो, चाहे 10 वर्ष उपरांत तीन बार की निकासी की व्यवस्थाए एनपीएस कर्मचारी को ग्रै’युटी की व्यवस्था, सरकारी अंशदान 10 से 14 प्रतिशत करना, सरकारी क्षेत्र में एनपीएस का पैसा विनिवेशित करने का विकल्प हो परंतु नई पेंशन योजना में न्यूनतम पेंशन की कोई गारंटी नहीं है, पेंशन में मंहगाई भत्ता की अनुपस्थिति में मूल्य वृद्धि की सुरक्षा उपलब्ध नही है, 80 वर्ष, 85 वर्ष, 90 वर्ष, 95 वर्ष या 100 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने के बाद भी अतिरिक्त पेंशन का कोई भी लाभ नहीं है, लापता कर्मचारियों के मामले में परिवार को कोई भी सुरक्षा नहीं है, अनिवार्य सेवानिवृत्त पेंशन की अनुपस्थिति, क्षतिपूर्ति पेंशन की अनुपस्थिति है। अत: सामाजिक सुरक्षाविहीन व्यवस्था, नई पेंशन प्रणाली के लागू होने के बाद नियुक्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। इस मौके पर कारखाना शाखा अध्यक्ष हरिवंश कुमार पांडे, परिचालन शाखा अध्यक्ष आर के शर्मा, कारखाना सचिव सत्यव्रत आर्य, संजीव वर्मा, नीतेश गुप्ता, मोहित रायकवार, नीरज शिवहरे, सुनील अग्रवाल, ज्ञानेंद्र शर्मा, राम सिंह परिहार, अंकित श्रीवास्तव, दिनेश कुशवाहा, बलराम पचौरी, प्रयागराज, भाई लाल, विवेक कुणाल, आशीष परेता, मनोज प्रजापति, पप्पू राम जी सहाय, धीरेंद्र कुशवाहा, आशीष पांडेय, नीरज प्रजापति, सोनू कुमार, मनोज, सतीश इत्यादि सैकडों कर्मचारी शामिल हुए।