प्रचार सामग्री से रेल सम्पत्ति को नुक़सान कर लाखों रुपए का बोझ डालने पर रेल प्रशासन की चुप्पी पर प्रश्न चिन्ह 

झांसी। यूएमआरकेएस के जोनल संगठन मंत्री चन्द्रकांत चतुर्वेदी सहित महामंत्री हेमंत विश्वकर्मा, मंडल संगठन मंत्री राजेश ठकरानी ने ECC सोसाइटी के संचालक मण्डल के चुनाव प्रचार के चलते चुनाव में भागीदारी निभा रहे अन्य संगठनों पर अनियमितताओं, शोषण, भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद सहित लूट खसोट के आरोपों का पिटारा खोल दिया है।

उन्होंने बताया कि रेलवे कर्मचारियों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से सेट‌ल रेलवे के मुम्बई मुख्यालय पर सेन्ट्रल रेलवे ई.सी.सी. सोसाइटी की स्थापना 111 वर्ष पूर्व की गई थी, किंतु ECC सोसाइटी के संचालक मण्डल ने सोसाइटी को कर्मचारियों की सेवा के स्थान पर सूद खोरी का केन्द्र बना दिया ‘जो आजतक जारी है। ECC सोसाइटी आज जो लोन देती है उस पर 5%, प्रति सैकड़ा फ्लैटरेट पर ब्याज लेती है। इससे स्पष्ट है कि यदि कोई रेल कर्मचारी ECC सोसाइटी से 05 वर्ष के लिए लोन लेता है तो उसे 25% ब्याज के रूप में चुकाना पड़ता है। ECC सोसाइटी द्वारा आज अरबों रुपये की राशि रेल कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई से वसूल कर सोसाइटी के कर्मचारियों में मोटे वेतन भत्तों के रूप में बांटी जा रही है। जो ए.आई. आर एफ से सम्बद्ध NRMU/WGREU/ NCRMU के पदाधिकारियों के रिश्तेदार हैं। यह अवसर शेयर धारक रेल कर्मचारियों को 111साल में कभी नहीं मिला। रेल कर्मचारियों से वसू‌ली गई नही रकम आज भी ECC. सोसाइटी के पास सस्पेन्स एकाउंट में जमा है। संचालक मण्डल की नियत में खोट के चलते ही यह राशि रेल कर्मचारियों या उनके वारिसों को नहीं लौटाई गई हैं। अन्यथा यह तो विदित हैं कि FCC. सोसाइटी के शेयर धारक / खाता धारक रेलवे के ही कर्मचारी ही तो हैं। जिनका पूरा विवर‌ण (BIODATA) रेलवे प्रबंधन के पास मौजूद होता है। इस तथ्य को हम इस प्रकार समझ सकते है कि रेल कर्मचारियों को ऋण देते समय दो गारंटर रेल कर्मचारि का प्रमणिकरना प्रत्येक के पक्ष में २-२ गवाहों के साथ लिया जाता है। रेलवे कर्मचारियों का जोन यदि डिफाल्ट होता है तो गारन्टर” रेल कर्मचारियों से ऋण को राशि व्याज सहित वसूल ली जाती है।

उन्होंने बताया कि रेल कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर यदि ऋण शेष होता है। उसके परिवार जनों को मिलने वाली सैप्लिमेण्ट की रा|शि में से ब्याज सहित पूरी राशि काट ली जाती है। जबकि यह राशि बीमा कृत होनी चाहिए। यहाँ विचारणीय बिन्दु यह है कि ECC सोसाइटी ऋण वसूली के लिए पूरा तन्त्र बना कर रेल कर्मचारियों पर शिकंजा कसती हैं। जबकि अभी जमा राशि लौटाने के लिए कोई प्रयास नहीं करती है। वरना लाखों रुपये की राशि खाते में नहीं होती।

उन्होंने बताया कि ECC सोसाइटी के संचालक मण्डल के चुनाव प्रति पांच वर्ष में होते हैं इस क्रम में 26 जून २०२4 को भी चुनाव होना हैं। उसके लिए रेलवे को दोनो मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ भारतीय मजदुर संघ से सम्बद्ध UMRKS भी मैदान में है। UMRKS सीमित संसाधनों एवं कर्मचारियों, उद्योग हित, राष्ट्र‌हित की भावना के साथ अपने कर्मठ एवं जुझारू समर्पित कार्यकताओं के सह‌योग से चुनाव मैदान में है।

उन्होंने बताया कि रेलवे के क्षेत्र में दोनो मान्यता प्राप्त सगठनों ने मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय, डीजल सेट, रेलवे स्टेशन, विद्युत लोको सेट, रेलवे बैगन मस्मत कारखाना, मण्डल रेल चिकित्सालय, आदि स्थानों पर जबरदस्त ढंग से पोस्टर चिपकाए है तथा हैण्ड विल पर्चे आदि वितरित किए जा रहे हैं। एक पोस्टर की छ‌पाई एवं चिपकाने को लागत 25/- मान ली जाय तो स्पष्ट हैं कि दोनो संगठनों ने लाखों रुपये के पोस्टर, पर्चे, होर्डिग, फ्लेक्स लगाए हैं। दोनो मान्यता प्राप्त संगठ‌नों के कार्य कर्ता जो रेल कर्मचारी भी है अपनी. २ नौकरी से दूर रहकर वातानु‌कुलित गाड़ि‌यों से मण्डल के स्टेशनों एवं कर्मचारियों में प्रचार करते घूम रहे हैं। इस प्रकार 10-२० लाख रुपये चुनाव में खर्च कर रहे हैं। रेलवे की नौकरी संम्बन्धी कार्य ठप हुए हैं। वही UMRKS. के कार्य कर्ता अपने. २’ कार्य स्थल पर रेल का कार्य करते हुए शालीनता के साथ अपने साथियों से अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विचार करना चाहिए कि चुनाव प्रचार एवं ट्रेड युनियन कर्मचारियों के नाम पर रेलवे की डियूटी से दूर, रहने वाले रेलवे कर्मचारियों के चन्दे के धन से पोस्टर पर्चे होर्डिंग फ्लेक्स लगाने वाले, वातानुकू‌लित गाड़ि‌यों, ओफिसों में मौज करने वाले स्वार्थी दलों को वोट न देकर UMRKS, जैसे परमार्थी: शालीन कर्मठ एवं रेल सेवा के प्रति निष्ठावाने संगठन‌ के प्रत्याशियों को मत देकर विजई बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारियों की ECC. सोसाइटी की व्याज की राशि को 111 वर्षो से जमी यूनियन लोन राशि में ऋद्धि कर खेल कर्मचारियों के बच्चों व्हीलचेयर, सम्युलेस या मेडिकल उपकरण वांट कर ऐसा प्रचारित करते हैं। जैसे अपनी खुद की धनराशि लुटा रहे है। जितना धन उन परमार्थ के कामों पर व्यय नहीं करते है उससे ज्यादा खर्च हो प्रचार-प्रसार एवं समारोहों के नाम पर बर्बाद कर देते हैं । यह सभी ने देखा है।

उन्होंने बताया कि चुनाव प्रचार के पोस्टर, बैनर, पम्पलेट रेलवे परिसारों एवं भवनों की दीबारों पर उतनी बहुतायत से चिपकाएं गये हैं कि रेलवे प्रशासन की रंगाई। पुताई एब सुन्दटी करण की लाखों रुपये की वर्बादी की व्यवस्था हो गई हैं। रेलवे. प्रशासन के कर्मचारी ये पोस्टर पंच साफ करेंगे। तब पुनः रेलवे में भवनों की गाई पुताई होगी। इसका उत्तरदायित्व किसका हैं। केन्द्रीय चुनाव आयोग भी इस प्रकार की अराजकता फैलाने की अनुमति नहीं देता। फिर भी रेल प्रशासन का मौन रहना समझ से परें हैं। इस दौरान दयानिधि मिश्रा मंडल कारखाना मंत्री राजेश कुमार सेन, तेजपाल आदि उपस्थित रहे। अंत में एके शुक्ला मंडल मंत्री ने आभार व्यक्त किया।