– डीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर लाइसेंस नवीनीकरण प्रकरण में राहत नहीं
झांसी। जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर के जरिये कूट रचित दस्तावेज तैयार कर पैट्रोल पम्प का लाईसेंस नवीनीकरण किये जाने के मामले में जिला पूर्ति अधिकारी व पूर्ति लिपिक को जेल से मुक्ति नहीं मिल सकी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने अभियोजन की ओर से प्रस्तुत दलीलों एवं अपराध अत्यंत गम्भीर प्रवृत्ति का मानते हुये दोनों के जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिये।
जानकारी देते हुये जिला शासकीय अधिवक्ता (फौज0) मनीष सिंह यादव ने बताया कि उक्त प्रकरण में जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने विगत 05 फरवरी 2019 को थाना नवाबाद में रिपोर्ट दर्ज कराते हुये बताया था कि सर्व नगर कालोनी निवासी गुरजीत सिंह चावला के शिकायती प्रार्थना पत्र पर जिला पूर्ति कार्यालय से सम्बंधित पत्रावली तलब की गयी थी। परीक्षण उपरांत पाया गया कि मेसर्स सिंह कैरियर फिलिंग स्टेशन करारी में राजेन्द्र सिंह चावला साझीदार है। उक्त पैट्रोल पम्प के लाईसेंस नवीनीकरण हेतु प्रार्थना पत्र राजेन्द्र सिंह चावला द्वारा प्रस्तुत किया गया। उक्त प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया गया था। कुछ बिन्दुओं पर मेसर्स सिंह कैरियर रिटेल आउटलेट से आख्या मांगी गयी थी। आख्या प्रस्तुत कर लाईसेंस के नवीनीकरण का अनुरोध किया गया था। जिला पूर्ति कार्यालय द्वारा 15 फरवरी 2018 बाद में उक्त फर्म का नवीन लाईसेंस जारी करने की संस्तुति जिला पूर्ति कार्यालय से की गयी। कार्यालय के लिपिक अमित श्रीवास्तव, पैट्रो अनु0 क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी मनोज कुमार तथा जिला पूर्ति अधिकारी अनूप तिवारी द्वारा पत्रावली पर अपने-अपने हस्ताक्षर करते हुये नियम विरूद्ध तरीके से जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर राजेन्द्र सिंह चावला के पक्ष में उक्त पैट्रोल पम्प का नवीन लाईसेंस भी जारी कर दिया गया।
राजेन्द्र सिंह चावला से मिलकर जिलाधिकारी के फर्जी व कूट रचित हस्ताक्षर बनाकर पैट्रोल पम्प का नियम विरूद्ध तरीके से लाईसेंस जारी किये जाने के मामले में थाना नवाबाद में धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज करते हुये जिला पूर्ति अधिकारी अनूप तिवारी व पूर्ति लिपिक अमित श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उक्त मामले में अनूप तिवारी व अमित श्रीवास्तव की ओर से जमानत हेतु प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किये गये। जिस पर अभियोजन की ओर से बहस करते हुये जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष सिंह यादव ने प्रार्थना पत्र खारिज किये जाने की पुरजोर मांग की। न्यायालय ने भी अपराध को अत्यंत गम्भीर प्रकृति का मानते हुये दोनों के जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिये।