झांसी। आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निवारण इकाई ने यूपी पुलिस के बर्खास्त दरोगा के खिलाफ प्रेमनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उसे राजस्थान पुलिस ने पुलिस वर्दी में तीन करोड़ कीमत के हाथी दांत की तस्करी करते पकड़ा गया था। एंटी करप्शन टीम के मुताबिक आरोपी ने सेवा में रहते हुए अपनी वैध आय से करीब 1.34 करोड़ रुपये अधिक कमाई की। इससे उसने चल-अचल संपत्ति जुटाई। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करके पुलिस भी मामले की छानबीन में जुट गई है।
हमीरपुर के मदौहा का मूल निवासी उप निरीक्षक नाजुउद्दीन खान झांसी में थाना प्रेमनगर क्षेत्र के राजगढ़ मोहल्ला में रहता है। 2005 बैच का एसआई नाजुउद्दीन के खिलाफ तैनाती के दौरान अकूत संपत्ति जुटाने की पिछले साल भ्रष्टाचार निवारण इकाई से शिकायत की गई थी। जांच में उजागर हुआ कि दरोगा नाजुउद्दीन की शिकायत समयावधि के दौरान कुल आय 30,03, 567 रुपये रही। जब उसके नाम की नामी और बेनामी संपत्तियां खंगाली गई तब इनकी कीमत 1,64,04,098 रुपये मिली। यह उसकी वैध कमाई से 1,34,00,531 रुपये अधिक खर्च था। इस मामले में प्रेमनगर पुलिस ने आरोपी एस आई के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली।
पुलिस वर्दी की आड़ में तस्करी
बर्खास्त दरोगा नाजुउद्दीन कितना शातिर है इसका प्रमाण था कि पुलिस सेवा में होने का फायदा उठाते हुए वह वर्दी की आड़ में तस्करी गिरोह चला रहा था। इसमें अपने बेटे एवं परिवार के लोगों को शामिल किया था। नाजुउद्दीन पुलिस को छकाने/बचने में वर्दी का इस्तेमाल करता था। पुलिस की वर्दी में हाथी दांत की तस्करी करता था। राजस्थान एसओजी ने 14 मार्च 2022 को जब उसे गिरफ्तार किया तब भी वह पुलिस की वर्दी में था। उसके पास से एसओजी ने तीन करोड़ के हाथी दांत (35 नग) समेत भारी नकदी बरामद की थी। यह सबसे बड़ी बरामदगी थी। उस दौरान नाजुउद्दीन हरदोई में तैनात था। हाथी दांत तस्करी मामले में यूपी पुलिस के दरोगा का नाम सामने आने पर तत्कालीन आईजी लक्ष्मी सिंह ने आनन-फानन में कार्रवाई करते हुए उसे बर्खास्त कर दिया। छानबीन में मालूम चला कि तैनाती के दौरान वह ड्यूटी भी नहीं करता था। अक्सर मेडिकल की छुट्टी लेकर गायब रहता था।
दस साल झांसी में पीएसी में तैनात रहा
दरोगा नाजुउद्दीन झांसी राजगढ़ स्थित पीएसी में वर्ष 2005 से करीब दस साल तक तैनात रहा। इसी दौरान उसने राजगढ़ में ही आलीशान आवास भी बनवा लिया। इसके बाद उसका सिविल पुलिस में तबादला हो गया। यहां से ललितपुर में भी काफी समय तक रहा। ललितपुर में तैनाती के दौरान वह दो बार निलंबित भी रह चुका है।










