झांसी। चिन्मय मिशन झांसी के ज्ञान यज्ञ में गुरुवार को मुख्य प्रवचनकर्ता वेदाज्ञा स्वामिनी संयुक्तानंदा ने भगवान शंकराचार्य रचित धन्याष्टकम में परमात्मा प्राप्ति के सूत्र बताए। उन्होंने बताया संसार का दूसरा नाम भ्रम निलय ही उपयुक्त है क्योंकि ब्रह्म ज्ञान के अतिरिक्त सभी कुछ भ्रम है। संसार के ज्ञान से इंद्रिय शांत नहीं होती और संसारी ज्ञान की डिग्रियां हमारा अभिमान ही पुष्ट करती है। परमात्मा का ज्ञान जीवन को विराम देता है, इंद्रियों को शांत करता है और यही ज्ञान असल ज्ञान है। गोपियो में कृष्ण प्रेम जैसा भगवत प्रेम जिसमें जागृत हो गया वो ही धन्य हो गया। हमारे जो विषय वृत्ति मन में बैठे है वो सत्संग से ही दूर होते है । चित्त वृत्ति का निरोध ही योग है।
शाम को गीता के 12वे अध्याय में श्री कृष्ण अर्जुन संवाद में उन्होंने भगवान को बुद्धि प्रदाता बताते हुए उसे ही भक्त का तारणहार बताया। कूटस्थ भगवान को जो भक्त सबके भीतर देखते है वह भगवान को ही प्राप्त करते है। इस प्रकार सगुण और निर्गुण भक्ति में कोई भेद नहीं परन्तु सगुण में भगवान के नाम रूप का आलंबन इसे सभी को सहज बनाता है। निर्गुण भक्ति हेतु वैराग्य और विवेक जरूरी क्वालीफिकेशन है।
चिन्मय मिशन झांसी के ज्ञान यज्ञ का दीप प्रज्वलन डॉ अशोक सक्सेना, अध्यक्ष डॉ प्रमोद गुलाटी, ब्रह्मचारी राघवेन्द्र, आचार्य हरिओम पाठक, अनुराधा शर्मा, दीपक कपूर, प्रमोद गुप्त, सचिव ईo मुकेश गुप्ता, रजनी गुप्ता द्वारा किया गया। गुरुदेव आरती में चंद्रा अरोड़ा, शीला गुप्ता, प्रेमलता अत्री, सुरेश चंद्र अत्री, गोपाल गोयल, नूपुर, कुसुम सेठ, कृष्णा सक्सेना, सुरेंद्र साहू आदि शामिल रहे।
इस ज्ञान अमृत का लाभ लेने हेतु आज 300 से अधिक साधकों से साथ हरीश अग्रवाल, वीके सेठ, नूपुर, आशीष सक्सेना, आरके धवन, एस न मोर, प्रकाश गुप्ता, मेघना गुप्ता, एस एस गुप्ता, डॉ के के साहू, मनोहर लाल सिरोठिया आदि साधक उपस्थित रहे। प्रवचन उद्वोधन के पूर्ण होने पर सभी साधकों के लिए मधुर प्रसाद प्रायोजन वंदना स्वीट द्वारा किया गया। चिन्मय मिशन सचिव ईo मुकेश गुप्ता ने मिशन की सदस्यता लेने का निवेदन करते हुए सबका आभार व्यक्त किया।