जिनका कोई नहीं – उनके श्राद्ध पिंडदान के लिए तीर्थराज गया जी रवाना हुआ प्रतिनिधिमंडल
अनेक परिवारों ने भी सौंपा डा जितेन्द्र कुमार तिवारी को पिंडदान का दायित्व*
झांसी। पितृपक्ष का पावन समय वह अवसर है जब जीवित और मृत के बीच श्रद्धा और कृतज्ञता का सेतु निर्मित होता है। सनातन धर्म की मान्यता है कि पितरों का तर्पण और पिंडदान आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करता है। किंतु उन लावारिस, अनाथ और अज्ञात आत्माओं का क्या, जिनका कोई अपना संस्कार और श्राद्ध करने वाला नहीं है?
झांसी में इसी धार्मिक और मानवीय संकल्प का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। झांसी रेलवे स्टेशन (मुख्य द्वार) पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए और नम आंखों से पवित्र पिंडों की श्रद्धामयी विदाई दी। सभी ने भावुक होकर प्रार्थना की कि जिन आत्माओं का कोई नहीं है, उन्हें भी मोक्ष प्राप्त हो और उनका आशीर्वाद संपूर्ण समाज को सुख-समृद्धि प्रदान करे। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी, केंद्रीय अध्यक्ष जिला जनकल्याण महासमिति झांसी एवं रानी झांसी फाउंडेशन झांसी के नेतृत्व में विशेष प्रतिनिधिमंडल आज तीर्थराज गया जी (बिहार) के लिए रवाना हुआ। इस प्रतिनिधिमंडल में अनिरुद्ध शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, मोहक शर्मा और पारस शर्मा प्रमुख रूप से सम्मिलित रहे।
यह दल अपने साथ न केवल अज्ञात, लावारिस और अनाथ आत्माओं के पिंड लेकर गया है, बल्कि उन श्रद्धालुओं के पूर्वजों के नाम-गोत्र भी सम्मिलित किए गए हैं, जो किसी कारणवश स्वयं गया जी नहीं जा पाए। तीर्थराज गया जी पहुँचकर प्रतिनिधिमंडल फल्गुनी नदी तट स्थित विष्णुपाद मंदिर में वैदिक धर्माचार्यों और विद्वान पंडों की सान्निध्य में, पुराणों में वर्णित परंपरा और विधि-विधान के अनुसार श्राद्ध और पिंडदान अनुष्ठान सम्पन्न कराएगा।
डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा— “सनातन धर्म में पितरों का श्राद्ध और पिंडदान आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अनिवार्य कर्म है। किंतु जिन आत्माओं का कोई परिजन या उत्तराधिकारी नहीं है, उनके लिए समाज को आगे आना चाहिए। गरुड़ पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि— ‘अनाथ प्रेत संस्कारात् कोटियज्ञफलं लभेत्।’ अर्थात किसी अज्ञात या अनाथ आत्मा का संस्कार और पिंडदान करने से करोड़ों यज्ञों के बराबर पुण्यफल मिलता है। हमारा संकल्प है— जिनका कोई नहीं, उनके लिए हम हैं।”
इस आयोजन में उपस्थित महानगर धर्माचार्य आचार्य पं हरिओम पाठक, आचार्य पं बसंत विष्णु गोलवलकर ने यह संदेश दिया कि हर आत्मा ईश्वर का अंश है और हर आत्मा सम्मान और मोक्ष की अधिकारी है। झांसी से तीर्थराज गया जी की यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। समाज को एक स्वर में यह आह्वान मिला कि—“जिनका कोई नहीं… उनके लिए हम खड़े हैं।” झांसी रेलवे परिसर का वातावरण उस समय पूर्णतः भक्तिमय हो गया, जब प्रतिनिधिमंडल “श्रीराम धुन” गाते हुए स्टेशन से आगे बढ़ रहा था। दृश्य इतना भावुक था कि यात्रियों सहित रेलकर्मियों ने भी पिंडों को नमन किया, पूर्वजों का आशीर्वाद लिया और अश्रुपूरित नेत्रों से विदाई देकर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से निशा सैनी, राहुल सैनी,आलोक शांडिल्य,अशोक शर्मा प्रिंस,प्रतिभा शर्मा,भावना चंदेल,उर्मिल कौशिक,हनी सीरोठिया, विनोद शर्मा,रामश्री गुप्ता,एम डी गुप्ता,एड शिरोमणि शर्मा, सभासद मंयक श्रीवास्तव , अनीता सिंह, सीता शर्मा,अजय तिवारी,बी पी नायक,डा मनीष मिश्रा, अनिरुद्ध शर्मा, सुभाष श्रीवास्तव, गिरिजा शंकर मालवीय, सुभाष झा, विवेक पालीवाल, मुकेश प्रजापति, राज शर्मा, सुरेश गौड, अजय तिवारी एच एन शार्मा,, जगदीश सिंह, कैलाश नारायण मालवीय, राहुल पचौरी, पंकज शुक्ला, मनीष मिश्रा, सौरभ जुजेलकर,पंकज झा, गोविंद शर्मा,धीरज शाक्य, आदर्श सूर्यवंशी, कबीर साहू,अनिल नायक, नीता माहौर,गीता त्रिपाठी, जगमोहन बडोने,संजय दुबे, अनुपम गुप्ता,ऊषा वर्मा,चेतन ओझा, रविन्द्र कुमार रावत, सुमित उपाध्याय, ध्रुव ओझा, कविता मिश्रा,अंजु शर्मा,पूजा चौधरी,डा मिश्रा, वंदना, कीर्ति गुप्ता, बबीता ओझा,नीता सिंह माहौर आदि मौजूद रहे।