• स्टेशन व मैथलीशरण पार्क में तिरंगे का अपमान
    झांसी। जिस तिरंगे की आन-वान व शान के लिए लोग कुर्बान हो गए, आजाद भारत में उस तिरंगे की दुर्गति ने राष्ट्र भक्तों के सर झुका दिए हैं, किन्तु जिम्मेदार अफसरों को इसकी चिन्ता नहीं है। अच्छा होता कि तिरंगा फहराया ही नहीं जाता तो कम से कम अपमान तो नहीं होता।
    हम बात कर रहे हैं रेल मार्ग से वीरांगना की नगरी में प्रवेश द्वारा अर्थात रेलवे स्टेशन व ऐतिहासिक किला के पाश्र्व में स्थित राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त पार्क की जहां राष्ट्र ध्वज की जहां दुर्गति हो रही है। दरअसल, देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार के चलते राष्ट्र के शौर्य व अखण्डता के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज को आन-वान-शान के साथ उच्च शिखर पर फहराने की व्यवस्था की गयी थी। इसके तहत रेल मंत्रालय के निर्देश पर झांसी स्टेशन परिसर में स्थित पार्क में १०५ फिट उंचे राष्ट्रीय ध्वज का अनावरण तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती द्वारा किया गया था। इसी तरह से शहर के मध्य में रानी लक्ष्मीबाई पार्क के निकट स्थित राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त पार्क में भी लगभग इसी उंचाई का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। दूर से लहराता तिरंगा देख कर जहां राष्ट्र के प्रति गर्व की अनुभूति होती थी वहीं सुन्दर दृश्य नजर आता था। तिरंगा तो फहरा दिए गए, किन्तु इसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने फिर पलट कर नहीं देखा। यदि देखा होता तो वह तिरंगे को अनादर को बर्दाश्त नहीं कर पाते।
    दरअसल, मौसम की मार के चलते दोनों स्थानों के तिरंगा की हालत दयनीय हो गयी। स्टेशन पर फहरा रहा तिरंगा की डोर ही टूट गयी। इसके कारण तिरंगा फट कर एक कपड़े की तरह हवा में कलाबाजियां खा रहा है। कमोवेश यही हाल पार्क में लगे तिरंगे का है। पार्क का तिरंगा फट जाने से फहराते समय विकृत दृश्य दिखाई देता है। इसके कारण नगर के वाशिंदों के साथ ही देशी-विदेशी पर्यटक तिरंगे की दुर्दशा देख कर आश्चर्य चकित हुए बिना नहीं रहते। राष्ट्र भक्तों का कहना है कि या तो इन तिरंगों की नियमित देखरेख होना चाहिए अन्यथा इन्हें उतार कर अपमान का दंश झेलने से बचाना चाहिए। इस सम्बन्ध में मण्डल रेल प्रबन्धक एवं मेयर का ध्यान अपेक्षित है।