झांसी। बीमार युवक इलाज के लिए मुम्बई से घर लौट रहा था, किंतु उसकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। शुक्रवार को कानपुर रेल मार्ग पर पूंछ थाना क्षेत्र में खिल्ली गांव के पास ट्रेन से गिर कर वह मौत का शिकार हो गया और जब परिजनों को सूचना मिली तो कोहराम मच गया। इकलौते पुत्र के शव को लेने उसका पिता चंदा जमा कर झांसी आया तो फफक पड़ा। उसने कहा बेटा इकलौता सहारा था, वह भी नहीं रहा, अब किसके सहारे जिंदगी कटेगी।
मृतक सुनील (35) सिद्धार्थनगर के गुलहोरा थाना क्षेत्र के रामोपुर पाठक गांव का रहने वाला था। पिता अनिल ने बताया- 3 महीने पहले इकलौता बेटा सुनील कमाने के लिए मुंबई गया था। वह एक कंपनी में काम करता था। कुछ दिन से उसकी तबीयत खराब थी। इसलिए वह इलाज के लिए गांव लौट रहा था। उसके पास मोबाइल नहीं था।
4 दिन पहले बेटे सुनील ने किसी से मोबाइल फोन लेकर कॉल लगाई और बताया कि ट्रेन में बैठ गया हूं। शुक्रवार को उसी मोबाइल से फोन आया कि सुनील झांसी के पूंछ थाना क्षेत्र में खिल्ली गांव के पास ट्रेन से गिर गया। जब शव की पहचान नहीं हुई तो पुलिस लावारिस मानकर मोर्चरी में शव को रखवा दिया।
उधर पिता के पास झांसी आकर इकलौते बेटे की लाश ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। रोते हुए उसने गांव के लोगों को अपनी आपबीती बताई। कहा- अब आखरी बार भी अपने बेटे को देख नहीं पाऊंगा। इसकी जानकारी लगने पर मदद के लिए पूरा गांव एकत्र हो गया और 23 हजार रुपए चंदा इकट्ठा करके पिता को दिए। इसके बाद वह एक पड़ौसी के साथ रविवार को झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचा। वहां बेटे की लाश को देखकर वह बेहोश हो गए। साथियों ने ढांढ़स बंधाया।
पड़ोसी ने बताया- सुनील के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। उसके पिता अनिल के पास झांसी आने के लिए पैसे तक नहीं थे। वो गांव में रोते हुए घूम रहे थे। तब गांव वालों ने चंदा इक्ट्ठा करके 23 हजार रुपए एकत्र किए और पिता को दिए। इसके बाद पिता झांसी आ पाए। सुनील उनका इकलौता बेटा था। सुनील के 3 बच्चे हैं। 15 साल की मुस्कान, 9 साल का सनी और 5 साल का छोटू है। पोस्टमॉर्टम के बाद शाम को पिता लाश को अपने गांव ले गए।