झांसी। मेंहदी बाग स्थित श्री रामजानकी मंदिर मानस भवन में स्व रामकली अडजरिया की स्मृति में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में द्वितीय दिवस का प्रसंग सुनाते हुए श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास हरिवंश दास ने कहा कि कथा सुनने मात्र से नहीं उसे अपने जीवन में उतारने से ही जीवन का कल्याण होगा। परीक्षित चरित्र का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भागवत हमें जीवन में समर्पण की शिक्षा देती है। जब प्राणी परमात्मा के प्रति समर्पण का भाव बना लेता है तो उसके भीतर का अहंकार खत्म हो जाता है। कथा व्यास ने कहा कि न तो यह संसार सत्य है और न यह शरीर, इस शरीर को तो एक न एक दिन छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि ब्रह्म सत्य और जगत मिथ्या है।

कथा व्यास हरिवंश दास ने कहा कि अनेकों पुराण की रचना करने के बाद व्यास जी संतुष्ट नहीं हुए उन्हें संतुष्टि श्रीमद् भागवत के लिखने के बाद ही प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि राम कृष्ण शिव में कोई भेद नहीं है भगवान शिव राम को भजते रहते है और भगवान राम हमेशा शिव जी को, आज इस कलयुग में भगवान को पाना सबसे सरल है। वेद से लेकर हनुमान चालीसा तक सब वेद है।मंगलाचरण बोलते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले मंगलाचरण करने का विधान है क्योंकि हम सब हमेशा अपना मंगल चाहते है मंगल है कहां क्या इस संसार में है नहीं मंगल तो सिर्फ भगवान है,जो हमारे हर अमंगल को हर सकते है इसीलिए गोस्वामी जी ने कहा है (मंगल भवन अमंगल हारी) अतःकोई भी काम करने से पहले भगवान का नाम लेना चाहिए।

भगवान ने गीता में कहा है कि करता ,आकर्त मै ही हूँ भगवान को कुछ करने की आवश्यकता नहीं है फ़िर भी वह करते है क्योंकि वह अपने आचरण से बताना चाहते हैं वे श्रेष्ठ है अगर आप श्रेष्ठ बन्ना चाहते है तो श्रेष्ठ आचरण कीजिएगा।

आरती पूजन लहर की देवी के महंत मोहन गिरी जी, रामेश्वर गिरि, भोपाल से आशीष शर्मा, सुशील शर्मा, राजकुमार गोस्वामी, अनिल अडजरिया, पंकज गुप्ता ने किया। अंत में अंचल अडजरिया ने आभार व्यक्त किया।